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ब्रह्मवैवर्त पुराण By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें ब्रह्मवैवर्त पुराण  वेदमार्ग का दसवाँ पुराण है। अठारह पुराणों में प्राचीनतम पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण को माना गया है। इस पुराण में जीव की उत्पत्ति के कारण और ब्रह्माजी द्वारा समस्त भू-मंडल, जल-मंडल और वायु-मंडल में विचरण करने वाले जीवों के जन्म और उनके पालन पोषण का सविस्तार वर्णन किया गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन, श्रीराधा की गोलोक-लीला तथा अवतार-लीलाका सुन्दर विवेचन, विभिन्न देवताओं की महिमा एवं एकरूपता और उनकी साधना-उपासनाका सुन्दर निरूपण किया गया है। अनेक भक्तिपरक आख्यानों एवं स्तोत्रोंका भी इसमें अद्भुत संग्रह है। ब्रह्मवैवर्त पुराण    शिव,  गीताप्रेस गोरखपुर  का आवरण पृष्ठ लेखक वेदव्यास देश भारत भाषा संस्कृत श्रृंखला पुराण विषय श्रीकृष्ण   भक्तिरस प्रकार हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ पृष्ठ १८,००० श्लोक इस पुराण में चार खण्ड हैं। ब्रह्मखण्ड, प्रकृतिखण्ड, श्रीकृष्णजन्मखण्ड और गणेशखण्ड। इन चारों खण्डों से युक्त यह पुराण अठार...

वैशाख के महीने में श्री श्री तुलसी जल दान का महत्वBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 वैशाख के महीने में क्योंकि सूर्य के ताप में वृद्धि हो जाती है, इसलिए विष्णु के भक्त गणों को जल दान करने से श्रीहरि अत्यंत अत्यंत प्रसन्न होते हैं। भगवान श्री हरि कृपा करके उनसे अभिन्न तुलसी वृक्ष को जल दान का एक सुयोग अथवा शुभ अवसर प्रदान करते हैं। लेकिन तुलसी को जल दान क्यों करना चाहिए ?तुलसी श्रीकृष्ण की प्रेयसी हैं, उनकी कृपा के फल से ही हम भगवान श्री कृष्ण के सेवा का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। तुलसी देवी के संबंध में कहा गया है तुलसी के दर्शन मात्र से ही संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं , जल दान करने से यम भय दूर हो जाता है, रोपण करने से यानी उनको बोने से उनकी कृपा से कृष्ण भक्ति वृद्धि होती है और श्रीहरि के चरण में तुलसी अर्पण करने से कृष्ण प्रेम प्राप्त होता है ।पद्मपुराण के सृष्टि खंड में वैष्णव श्रेष्ठ श्री महादेव अपने पुत्र कार्तिक को कहते है" सर्वेभ्य पत्र पुस्पेभ्य सत्यमा तुलसी शीवा सर्व काम प्रदत्सुतधा वैष्णवी विष्णु सुख प्रिया "समस्त पत्र और पुष्प में तुलसी सर्वश्रेष्ठ हैं। तुलसी सर्व कामना प्रदान करने वाली, मंगलमय, श्रुधा, शुख्या, वैष्णवी, विष्णु प्रेयसी एवं सभी लोको में परम शुभाय है। भगवान शिव कहते हैं ,"यो मंजरी दलरे तुलस्या विष्णु मर्त्ये तस्या पुण्य फलम कर्तितुम नैव शक्तते तत्र केशव सानिध्य यात्रस्ती तुलसी वनम तत्रा ब्रह्म च कमला सर्व देवगने "हे कार्तिक! जो व्यक्ति भक्ति भाव से प्रतिदिन तुलसी मंजरी अर्पण कर भगवान श्रीहरि की आराधना करता है , यहां तक कि मैं भी उसके पुण्य का वर्णन करने में अक्षम हूं। जहां भी तुलसी का वन होता है भगवान श्री गोविंद वही वास करते हैं और भगवान गोविंद की सेवा के लिए लक्ष्मी ब्रह्मा और सारे देवता वही वास करते हैं। मूलतः भगवान श्री कृष्ण ने जगत में बध जीव गणों को उनकी सेवा करने का शुभ अवसर प्रदान करने के लिए , भगवान श्री कृष्ण ही तुलसी रूप में आविर्भूत हुए है, एवं उन्होंने तुलसी पौधे को सर्वाधिक प्रिय रूप में स्वीकार किया है । पताल खंड में यमराज ब्राह्मण को तुलसी की महिमा का वर्णन करते हैंवैशाख में तुलसी पत्र द्वारा श्री हरि की सेवा के प्रसंग में वह कहते हैं कि जो व्यक्ति संपूर्ण वैशाख मास में अनन्य भक्ति भाव से तुलसी द्वारा त्री संध्या भगवान श्रीकृष्ण की अर्चना करता है उस व्यक्ति का और पुनर्जन्म नहीं होता । तुलसी देवी की अनंत महिमा अनंत शास्त्रों में अनंत शास्त्रों में वर्णित है लेकिन यह महिमा असीमित है अनंत है ब्रह्मवैवर्त पुराण में प्रकृति खंड में ऐसा वर्णन है "शिरोधार्य च सर्वे सामीप सताम विश्व पावनी जीवन मुक्ता मुक्तिदायिनी चा भजेताम हरि भक्ति दान " जो सबके शिरोधार्य है, उपासया हैं, जीवन मुक्ता है, मुक्ति दायिनी है और श्री हरि की भक्ति प्रदान करने वाली हैं । वह समस्त विश्व को पवित्र करने वाली हैं , ऐसी समस्त विश्व को पवित्र करने वाली विश्व पावनी तुलसी देवी को मैं सादर प्रणाम करता हूं । समग्र वैदिक शास्त्रों के संकलन करने वाले तथा संपादक श्री व्यास देव तुलसी की महिमा करते हुए पद्मपुराण के सृष्टि खंड में कहते"पूजन किर्तने ध्याने परोपने धारने कलो तुलसी ध्यते पापं स्वर्ग मोक्ष दादातीउपदेशम दृश्य दृष्या स्यम आचरते पुनःस याति परम अनुस्थनाम माधवसे के कनम" तुलसी देवी की पूजा, कीर्तन , ध्यान, रोपण और धारण पाप को नाश करने वाला होता है और इससे परम गति प्राप्त होती है । जो व्यक्ति किसी अन्य को तुलसी द्वारा भगवान श्री हरि की अर्चना करने का उपदेश देता है और स्वयं भी अर्चना करता है वही वह श्री माधव के धाम में गमन करता है । केवल तुलसी देवी के नाम उच्चारण मात्र से ही श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं और इसके परिणाम स्वरूप पाप समूह नष्ट हो जाता है और अक्षय पुण्य प्राप्त होता है । पदम् पुराण के ब्रह्म खंड में कहां गया है "गंगाताम सरिता श्रेष्ठ: विष्णु ब्रह्मा महेश्वरा:देव: तीर्थ पुष्करा तेश्थ्यम तुलसी दले"गंगा आदि समस्त पवित्र नदी एवं ब्रह्मा विष्णु महेश्वर पुष्कर आदि समस्त तीर्थ सर्वथा तुलसी दल में विराजमान रहते हैं । ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि समस्त पृथ्वी में साढ़े तीन करोड़ तीर्थ हैवह तुलसी उद्विग्न के मूल में तीर्थ निवास करते हैं । तुलसी देवी की कृपा से भक्तवृंद कृष्ण भक्ति प्राप्त करते हैं और वृंदावन वास की योग्यता अर्जित करते हैं । वृंदा देवी तुलसी देवी समस्त विश्व को पावन करने में सक्षम है और सब के द्वारा ही पूज्य है । समस्त पुष्पों के मध्य वो सर्वश्रेष्ठ हैं और श्री हरि सारे देवता ब्राह्मण और वैष्णव गन का आनंद का वर्धन करने वाली हैं । वे अतुलनीय और कृष्ण की जीवन स्वरूपनी है । जो नित्य तुलसी सेवा करते हैं वह समस्त क्लेश से मुक्त होकर अभीष्ट सिद्धि प्राप्त करते हैं । अतः श्रीहरि की अत्यंत प्रिय तुलसी को जल दान अवश्य करना चाहिए । इसके अलावा इस समय भगवान से अभिन्न प्रकाश श्री शालिग्राम शिला को भी जल दान की व्यवस्था की जाती है ।शास्त्रों में तुलसी देवी को जल दान करने पर तुलसी के मूल में जो जल बच जाता है उसका भी विशेष महत्व वर्णित किया गया है । इस विषय में एक कहानी बताई गई है- एक समय एक वैष्णव तुलसी देवी को जल प्रदान कर और परिक्रमा करके घर वापस जा रहे थे कि कुछ समय पश्चात एक भूखा कुत्ता वहां आकर तुलसी देवी के मूल में पड़े हुए जल था उसको पीने लगा लेकिन तभी वहां एक बाघ आया और उसको कहने लगा दुस्त कुकुर तुम क्यों मेरे घर में खाना चोरी करने आए हो और चोरी भी करना ठीक है लेकिन मिट्टी का बर्तन क्यों तोड़ कर आए हो तुम्हारे लिए उचित दंड केवल मृत्युदंड है । इसके उपरांत बाग उस कुत्ते को वही मार देता है और तभी यमदूत के गण उस कुत्ते को लेने आते हैं। लेकिन उसी समय विष्णु दूतगण वहां आते है और उनके रोकते है और कहते है यह कुत्ता पूर्व जन्म में जघन्य पाप करने के कारण नाना प्रकार के दंड पाने के योग्य हो गया था लेकिन केवल तुलसी के पौधे के मूल में पड़े जल का पान करने के फल से उसका समस्त पाप नष्ट हो चुका है और तो और वह विष्णु गमन करने की योग्यता अर्जित कर चुका है । अतः वह कुत्ता सुंदर रूप को प्राप्त करता है और वैकुंठ के दूत गणों के साथ भगवद धाम गमन करता है ।जगत जीवो को कृपा करने के उद्देश्य से ही भगवान के अंतरंग शक्ति श्रीमती राधारानी का प्रकाश वृंदा तुलसी देवी के रूप में इस जगत में प्रकट हुआ है । उसी प्रकार भगवान श्री हरि भी बध जीवो को माया के बंधन से मुक्त करने के लिए विचित्र लीला के माध्यम से अपने अभिन्न स्वरुप शालिग्राम शिला रूप में प्रकाशित हुए हैं । चारों वेदों के अध्ययन से लोगों को जो फल प्राप्त होता है केवल शालिग्राम शिला के अर्चना करने मात्र से ही वह पूर्ण फल प्राप्त किया जाना संभव है । जो शालिग्राम शिला के स्नान जल , चरणामृत आदि को नित्य पान करते हैं वह महा पवित्र होते हैं एवं जीवन के अंत में भगवद धाम गमन करते हैं ।

वैशाख के महीने में श्री श्री तुलसी जल दान का महत्व By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦   वैशाख के महीने में क्योंकि सूर्य के ताप में वृद्धि हो जाती है, इसलिए विष्णु के भक्त गणों को जल दान करने से श्रीहरि अत्यंत अत्यंत प्रसन्न होते हैं। भगवान श्री हरि कृपा करके उनसे अभिन्न तुलसी वृक्ष को जल दान का एक सुयोग अथवा शुभ अवसर प्रदान करते हैं।  लेकिन तुलसी को जल दान क्यों करना चाहिए ? तुलसी श्रीकृष्ण की प्रेयसी हैं, उनकी कृपा के फल से ही हम भगवान श्री कृष्ण के सेवा का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। तुलसी देवी के संबंध में कहा गया है तुलसी के दर्शन मात्र से ही संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं , जल दान करने से यम भय दूर हो जाता है, रोपण करने से यानी उनको बोने से उनकी कृपा से कृष्ण भक्ति वृद्धि होती है और श्रीहरि के चरण में तुलसी अर्पण करने से कृष्ण प्रेम प्राप्त होता है । पद्मपुराण के सृष्टि खंड में वैष्णव श्रेष्ठ श्री महादेव अपने पुत्र कार्तिक को कहते है " सर्वेभ्य पत्र पुस्पेभ्य सत्यमा तुलसी शीवा सर्व काम प्रदत्सुतधा वैष्णवी विष्णु सुख प्रिया " समस्त पत्र और पुष्प में ...

🙏🌲🥀🌷🌹❤️🌲🌳🌹🍁🌾 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🌻🙏ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः जय श्री कृष्णा जी जय श्री श्याम जी श्री राधे राधे जी शुभ दोपहर जी🙏🌻🍁🌹🌳🌲🙏🌹🌲🥀🌷 🌷🥀🌲🌹🙏है भगवान आप ये कैसी परिक्षा ले रहे हो।या फिर किस अपराध की सजा दे रहे हो।आपकी ही ये दुनिया बनाई और बसाई गई है।हम सब आपके ही बच्चे हैं। क्या कोई अपने बच्चों को भी इस तरह की सजा देता है। अगर कोई गलती हुई है तो गलती तो इंसान से ही होती है। गलती नहीं होती है तो वो सिर्फ आप भगवान नहीं कर सकते हो।हम तो आपके लिए चिंटियों के समान बहुत ही तुच्छ और नादान बच्चें है। और हमें तो ये भी पता नहीं है कि हमें किस पाप और अपराध की सजा मिल रही है।हम इंसान से कब पाप होता है और अब पुण्य होता है। ये भी ज्ञान नहीं है। ये भी आप भगवान को ही पता है। अब कितने परिवारों से कितने इंसान इस आपकी सजा से इस दुनिया को और अपने परिवार को छोड़कर जा चुके हैं और जा रहें हैं। और एक परिवार से चार पांच सदस्य जा चुके हैं। और जो कोई बचा है तो वो अस्पताल में कष्ट झेल रहा है। और कितने माता पिताओं ने अपने बच्चों को खो दिया है और कितने बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। और जिन्हें देखें बिना एक पल भी जिन्हें चैन नहीं मिलता था।उन बिना वो कैसे जियेगें ।सुना है भगवान की इच्छा के बिना पेड़ का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है। तो ये सब आप क्यों सजा दे रहे हो। अगर आपने अभी भी ऐसा किया तो।हम लोगों और आपके बच्चों का आप भगवान से विश्वास टुट जायेगा। आपको अपना बच्चा कितना प्यारा लगता है गणेश जी।जो उसके शिश भी दुसरा लगा दिया।हर माता-पिता को अपने बच्चे ऐसे ही लगते हैं जैसे आपको लगते हैं। एक आपका तुच्छ और बहुत छोटा चिंटि के समान आपका भगत और आपका बच्चा आपसे प्रार्थना करता हूं कि। किसी भी माता पिता के बच्चों और बच्चों के माता-पिता और बहन का भाई। और भाई की बहन। और भाई से भाई को और दोस्त से दोस्त को और रिश्तेदारों से रिश्तेदारों को दुर ना करो। और किसी भी जीव जंतु को कष्ट ना दो। आपसे बार बार यही प्रार्थना करता हूं। मन को बहुत कष्ट और दुःख हुआ तो इतने कठोर शब्द बोले है। से मेरे भगवान आपको। नहीं तो आप मुझे खुद से ज्यादा अच्छे लगते हो।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः जय श्री राधे कृष्णा जी।

🙏🌲🥀🌷🌹❤️🌲🌳🌹🍁🌾🌻🙏ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः जय श्री कृष्णा जी जय श्री श्याम जी श्री राधे राधे जी शुभ दोपहर जी🙏🌻🍁🌹🌳 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🌲🙏🌹🌲🥀🌷 🌷🥀🌲🌹🙏है भगवान आप ये कैसी परिक्षा ले रहे हो।या फिर किस अपराध की सजा दे रहे हो।आपकी ही ये दुनिया बनाई और बसाई गई है।हम सब आपके ही बच्चे हैं। क्या कोई अपने बच्चों को भी इस तरह की सजा देता है। अगर कोई गलती हुई है तो गलती तो इंसान से ही होती है। गलती नहीं होती है तो वो सिर्फ आप भगवान नहीं कर सकते हो।हम तो आपके लिए चिंटियों के समान बहुत ही तुच्छ और नादान बच्चें है। और हमें तो ये भी पता नहीं है कि हमें किस पाप और अपराध की सजा मिल रही है।हम इंसान से कब पाप होता है और अब पुण्य होता है। ये भी ज्ञान नहीं है। ये भी आप भगवान को ही पता है। अब कितने परिवारों से कितने इंसान इस आपकी सजा से इस दुनिया को और अपने परिवार को छोड़कर जा चुके हैं और जा रहें हैं। और एक परिवार से चार पांच सदस्य जा चुके हैं। और जो कोई बचा है तो वो अस्पताल में कष्ट झेल रहा है। और कितने माता पिताओं ने अपने बच्चों को खो दिया है और कितने बच्चों ...

नवग्रहों के शुभ-अशुभ फल और उनके उपाय🌺By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🌺सूर्य- सूर्य ग्रह हमें तेज, यश, मान-सम्मान प्रदान करता है। सूर्य शुभ होने पर हमें समाज में प्रसिद्धि मिलती है। सूर्य के अशुभ होने पर अपमान जैसे विपरीत प्रभाव प्राप्त होते हैं। उपाय- इस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह सूर्य को जल अर्पित करें। पिता का सम्मान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें। 🌺चंद्र- चंद्र का संबंध हमारे मन से बताया गया है। चंद्र अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति शांत होता है, लेकिन अशुभ चंद्र मानसिक तनाव बढ़ाता है। यदि चंद्र अधिक विपरीत हो तो व्यक्ति पागल भी हो सकता है।उपाय: यदि चंद्र अशुभ स्थिति में हो तो प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करना चाहिए। माता का सम्मान करें। 🌺मंगल: मंगल हमारे धैर्य और पराक्रम को नियंत्रित करता है। शुभ मंगल हो तो व्यक्ति कुशल प्रबंधक होता है। भूमि संबंधी कार्यों में लाभ प्राप्त करता है। अशुभ मंगल होने पर भूमि से हानि हो सकती है। रक्त संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। उपाय: मंगल से शुभ फल प्राप्त करने के लिए हर मंगलवार शिवलिंग पर लाल पुष्प अर्पित करें। भाइयों के साथ अच्छे संबंध रखें। 🌺बुध: बुध ग्रह हमारी बुद्धि और वाणी को प्रभावित करता है। शुभ बुध होने पर हमारी बुद्धि शुद्ध और पवित्र होती है। बुध अशुभ होने पर व्यक्ति बुद्धि का सही उपयोग नहीं कर पाता है। उपाय: बुध के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए हर बुधवार गाय को हरी घास खिलाएं। मां दुर्गा की पूजा करें। बहन, बुआ, बेटी का मान- सम्मान करें🌺गुरु: गुरु ग्रह हमारी धार्मिक भावनाओं को नियंत्रित करता है। इस ग्रह के शुभ होने पर व्यक्ति को धर्म संबंधी कार्यों में विशेष लाभ प्राप्त होता है। भाग्य का साथ मिलता है। अशुभ गुरु होने पर व्यक्ति धर्म पथ से भटक सकता है। उपाय: बड़ों का सम्मान करें। गुरु से शुभ फल प्राप्त करने के लिए हर गुरुवार चने की दाल का दान करें। 🌺शुक्र: शुक्र से प्रभावित व्यक्ति कलाप्रेमी, सुंदर और ऐश्वर्य प्राप्त करने वाले होता है। शुभ शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति विलासिता का जीवन पाता है। अशुभ शुक्र होने पर व्यक्ति के आकर्षण में कमी आ सकती है। व्यक्ति को सुंदर और आकर्षक वस्त्र प्राप्त नहीं हो पाते हैं। उपाय: शुक्रवार को दूध, चावल, चीनी, सफेद कपड़े का दान करें। माता वैभव लक्ष्मी का 21 शुक्रवार विधि विधान से व्रत करें। नारी जाति, पत्नी का कभी अपमान ना करें।🌺शनि: जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ अवस्था में हो, वह सभी सुखों को प्राप्त करने वाला, श्याम वर्ण, शक्तिशाली होता है। शनि अशुभ होने पर व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। पिता की ओर से भी पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है। उपाय: शनि से शुभ फल पाने के लिए हर शनिवार तेल का दान करें। पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें। चाचा, सेवक, मजदूर वर्ग के साथ किसी प्रकार का झगड़ा न रखें। 🌺राहु: जिस व्यक्ति की कुंडली राहु बलशाली होता है, वह कठोर स्वभाव वाला, प्रखर बुद्धि, श्याम वर्ण होता है। इस ग्रह के अशुभ होने पर बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उपाय: राहु के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को काले कंबल का दान करें। सफाई कर्मचारी को कुछ ना कुछ भेंट करते रहे। पड़ोसी के साथ संबंध खराब कभी ना करें।🌺केतु: केतु शुभ हो तो व्यक्ति कठोर स्वभाव, गरीबों का हित करने वाला, श्याम वर्ण होता है। यदि कुंडली में केतु अशुभ है तो व्यक्ति को कार्यों में आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है। उपाय: केतु से शुभ फल प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें और वृक्ष की सात परिक्रमाएं करें। कुत्तों को खाना खिलाये, किसी पेड़ के नजदीक चीटियों को भोजन दें।

🌺नवग्रहों के शुभ-अशुभ फल और उनके उपाय🌺 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🌺सूर्य- सूर्य ग्रह हमें तेज, यश, मान-सम्मान प्रदान करता है। सूर्य शुभ होने पर हमें समाज में प्रसिद्धि मिलती है। सूर्य के अशुभ होने पर अपमान जैसे विपरीत प्रभाव प्राप्त होते हैं।   उपाय- इस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह सूर्य को जल अर्पित करें। पिता का सम्मान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें।   🌺चंद्र- चंद्र का संबंध हमारे मन से बताया गया है। चंद्र अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति शांत होता है, लेकिन अशुभ चंद्र मानसिक तनाव बढ़ाता है। यदि चंद्र अधिक विपरीत हो तो व्यक्ति पागल भी हो सकता है। उपाय: यदि चंद्र अशुभ स्थिति में हो तो प्रतिदिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करना चाहिए। माता का सम्मान करें।   🌺मंगल: मंगल हमारे धैर्य और पराक्रम को नियंत्रित करता है। शुभ मंगल हो तो व्यक्ति कुशल प्रबंधक होता है। भूमि संबंधी कार्यों में लाभ प्राप्त करता है। अशुभ मंगल होने पर भूमि से हानि हो सकती है। रक्त संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।   उपाय: मंगल से शुभ फल प्राप्त करने के लिए हर मंगलवार शि...

🕉 वास्तु और कर्ज 🕉 by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🕉यदि ईशान कोण में बाथरूम और टॉयलेट है तो आपको कारोबार बंद होने के कारण कर्ज लेना पड़ेगा।🕉 उत्तर दिशा की दीवार पर यदि कोई भारी सामान है अथवा कोई पहाड़ आदि की तस्वीरें तो आपको व्यर्थ के खर्च के लिए कर्ज लेना पड़ पड़ सकता है।🕉 यदि आपके किसी भी भवन में एक ही सीध में 3 दरवाजे हैं तो भी आपको कर्ज लेना पड़ सकता है।🕉 यदि आग्नेय कोण में कोई जल का कार्य अथवा कोई लोहे की सामग्री रखी है तो आपको कर्ज की समस्याएं जरूर आएंगी।🕉यदि आप ईशान कोण में तिजोरी रखते हैं तो यह भी बहुत बड़ा वास्तु दोष है जिससे आप आर्थिक संकट आएगा।🕉यदि आप के मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई अन्य मुख्य द्वार है तो आपको कर्ज लेना पड़ सकता है।🕉 यदि आपने आग्नेय कोण में स्नानघर का निर्माण करवा दिया है तो यह बहुत अशुभ फलदायक है । 🕉 ईशान कोण में छत्त पर पानी की टंकी रखी हुई हो तो यह वजन भविष्य में आप पर कर्ज के रूप में आने वाला है। यह ऐसा कर्ज होगा जो आप कभी नहीं चुका पाएंगे।

🕉 वास्तु और कर्ज 🕉 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🕉यदि ईशान कोण में बाथरूम और टॉयलेट है तो आपको कारोबार बंद होने के कारण कर्ज लेना पड़ेगा। 🕉 उत्तर दिशा की दीवार पर यदि कोई भारी सामान है अथवा कोई पहाड़ आदि की तस्वीरें तो आपको व्यर्थ के खर्च के लिए कर्ज लेना पड़ पड़ सकता है। 🕉 यदि आपके किसी भी भवन में एक ही सीध में 3 दरवाजे हैं तो भी आपको कर्ज लेना पड़ सकता है। 🕉 यदि आग्नेय कोण में कोई जल का कार्य अथवा कोई लोहे की सामग्री रखी है तो आपको कर्ज की समस्याएं जरूर आएंगी। 🕉यदि आप ईशान कोण में तिजोरी रखते हैं तो यह भी बहुत बड़ा वास्तु दोष है जिससे आप आर्थिक संकट आएगा। 🕉यदि आप के मुख्य द्वार के ठीक सामने कोई अन्य मुख्य द्वार है तो आपको कर्ज लेना पड़ सकता है। 🕉 यदि आपने आग्नेय कोण में स्नानघर का निर्माण करवा दिया है तो यह बहुत अशुभ फलदायक है ।  🕉 ईशान कोण में छत्त पर पानी की टंकी रखी हुई हो तो यह वजन भविष्य में आप पर कर्ज के रूप में आने वाला है। यह ऐसा कर्ज होगा जो आप कभी नहीं चुका पाएंगे।

🌺 इन्हें घर में जरूर लगाएं 🌺By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🌺तुलसी का पौधा :- यह पौधा सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट करता है, कोई बुरी आत्‍मा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकती। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक महत्‍व रखता है, बल्कि इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं। इससे सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती है।🌺मीठा नीम या कड़ी पत्‍ता :- यह पौधा सहज और सरल रूप से आपको कहीं भी मिल सकता है, इसको लगाने से घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।इसको लगाने से शनि, राहु और केतु तीनों प्रसन्‍न रहते हैं।🌺आंवले का पौधा :- आंवले के पौधे को लगाने से मां लक्ष्‍मी स्‍वयं आपके घर में हमेशा के लिए वास करेंगी, क्योंकि आंवले में भगवान कृष्‍ण और विष्‍णु का वास होता है। इसको आप जमीन या गमले में लगा सकते हैं। यदि ये दोनों ही संभव न हो तो, आप घर में इसका चित्र लगाकर भी ये लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।🌺हरसिंगार या पारिजात वृक्ष :- पारिजात की उत्‍पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन के 14 रत्‍नों में से 11वां रत्‍न पारिजात वृक्ष का था। इसको छूने मात्र से सारी थकान मिट जाती है, यह वृक्ष देवताओं को सबसे ज्‍यादा प्रिय होता है। इसलिए जिसके घर में यह पेड़ होगा, वहां कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। इसके छोटे-छोटे सुगंधित पुष्‍पों से सारा वातावरण सुगंधित रहता है।🌺शमी का पौधा :- इसे ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जो घर से निकलते समय दाहिनी ओर पड़ता हो। शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है, आपके कामों में आने वाली रुकावट दूर होगी। शमी को गणेश जी का प्रिय वृक्ष माना जाता है, इसलिए भगवान गणेश की आराधना में शमी के वृक्ष की पत्तियों को अर्पित किया जाता है।

🌺 इन्हें घर में जरूर लगाएं 🌺 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🌺तुलसी का पौधा :- यह पौधा सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट करता है, कोई बुरी आत्‍मा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकती। तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक महत्‍व रखता है, बल्कि इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं। इससे सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती है। 🌺मीठा नीम या कड़ी पत्‍ता :- यह पौधा सहज और सरल रूप से आपको कहीं भी मिल सकता है, इसको लगाने से घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।इसको लगाने से शनि, राहु और केतु तीनों प्रसन्‍न रहते हैं। 🌺आंवले का पौधा :- आंवले के पौधे को लगाने से मां लक्ष्‍मी स्‍वयं आपके घर में हमेशा के लिए वास करेंगी, क्योंकि आंवले में भगवान कृष्‍ण और विष्‍णु का वास होता है। इसको आप जमीन या गमले में लगा सकते हैं। यदि ये दोनों ही संभव न हो तो, आप घर में इसका चित्र लगाकर भी ये लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। 🌺हरसिंगार या पारिजात वृक्ष :- पारिजात की उत्‍पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। समुद्र मंथन के 14 रत्‍नों में से 11वां रत्‍न पारिजात वृक्ष का था। इसको छूने मात्र...

हमारो_धन_राधा_श्री_राधा_श्री_राधा By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 लोकन हूँ को लोक मैंने एक बृज लोक देखयोबृज हूं को तत्व सार श्री वृंदावन धाम है||🌹🌹🌹🌹 वृंदावन धाम हूं को तत्व साधु संत जनसाधुन को तत्व गोपी ग्वालिन को नाम है||🌹🌹🌹🌹 ग्वालिन को तत्व प्यारो कृष्ण घनश्याम जहाँकृष्ण हूं तत्व राधारानी जू को नाम है||🌹🌹🌹🌹🌹 ❤ जय जय श्री राधे श्याम❤ 🌹🌹श्री जी कृपा🌹🌹 🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌷🌷

हमारो_धन_राधा_श्री_राधा_श्री_राधा        लोकन हूँ को लोक मैंने        एक बृज लोक देखयो By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 बृज हूं को तत्व सार श्री वृंदावन धाम है||🌹🌹🌹🌹          वृंदावन धाम हूं को           तत्व साधु संत जन साधुन को तत्व गोपी ग्वालिन को नाम है||🌹🌹🌹🌹   ग्वालिन को तत्व प्यारो    कृष्ण घनश्याम जहाँ कृष्ण हूं तत्व राधारानी जू को नाम है||🌹🌹🌹🌹🌹             ❤ जय जय श्री राधे श्याम❤                🌹🌹श्री जी कृपा🌹🌹             🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌷🌷

🌺 घर के आसपास पेड़-पौधे 🌺By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🌺वास्तुशास्त्र के अनुसार अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चम्पा, अजुन॔, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेशर, अडहुल आदी के पेड घर के पास शुभ होते है ।🌺 परन्तु आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, और वायव्य दिशा छोडकरपूव॔, ईशान, उतर, और पश्चिम दिशा मे लगाना चाहिए🌺 पाकड, गुलर, आम, नीम, पीपल, बेर, इमली, कदम्ब, केला, निंबु, अनार, खजुर, बेल आदी के पेड घर के पास अशुभ होते है ।🌺 इनमे से कुछ पेड दिशा विशेष मे रहने पर शुभ अशुभ भी हो जाते है ।

🌺 घर के आसपास पेड़-पौधे 🌺 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🌺वास्तुशास्त्र के अनुसार अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चम्पा, अजुन॔, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेशर, अडहुल आदी के पेड घर के पास शुभ होते है । 🌺 परन्तु आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, और वायव्य दिशा छोडकर पूव॔, ईशान, उतर, और पश्चिम दिशा मे लगाना चाहिए 🌺 पाकड, गुलर, आम, नीम, पीपल, बेर, इमली, कदम्ब, केला, निंबु, अनार, खजुर, बेल आदी के पेड घर के पास अशुभ होते है । 🌺 इनमे से कुछ पेड दिशा विशेष मे रहने पर शुभ अशुभ भी हो जाते है ।

🌹वास्तुशास्त्र_और_महत्वपूर्ण_विचार🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦वास्तुशास्त्रं_प्रवक्ष्यामी_लोकानां_हितकाम्यया। वास्तुशास्त्र_शब्द_का_अर्थ_है। #निवास_करना!,जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते है उसे “वास्तु” कहा जाता है। वास्तु देवता को आत्मावर्धनशील भी कहा गया है।एक कहावत है की अंधकासुर दैत्य एवम भगवान शंकर के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में शंकरजी के शरीर से पसीने की कुछ बुँदे ज़मीन पर गिर परी, उन बूंदों से आकाश और पृथ्वी को भयभीत करने वाला एक प्राणी प्रकट हुआ। और देवो के साथ युद्ध करने लगा। तब सब देवताओ ने उसे पकड कर उसका मुह नीचे करके दबा दिया और उसको शांत करने के लिए वर दिया __ “सभी शुभ कार्यो में तेरी पूजा होगी”! तब देवों ने उस पुरुष पर वास किया । इससे कारण उसका नाम “वस्तापुरुष” प्रचलित हुआ। उस पर सभी देवता निवास करते है अतः सभी बुद्दिमान पुरुष उसकी पुजा करते हैं। तब से सभी शुभ कार्यो में जैसे ग्राम, नगर, दुर्ग, मंदिर, मकान, जलाशय, उद्यान, आदि आदि के निर्माण के अवसर पर वास्तुपुरुष की पुजा अनिवार्य है।वास्तु-पुरुष की पूजा गृह निर्माण के आरम्भ में, द्वार बनाने के समय, मकान में प्रवेश के समय करनी चाहिए ! इसके अतिरिक्त यज्ञोपवित, विवाह, जीर्णोधार, बिजली और अग्नि से जलने वाले मकान को बनाने के समय सर्प, चंडाल, उल्लू, गिद्ध, से युक्त मकान में पुनर्वास करते समय वास्तुपुरुष की पूजा विधि विधान से करने पर घर के सभी प्रकार से दोष और उत्पात का शमन होकर सुख, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है!घर-चौकोर में ही बनाये ! मकान के चारों कोने समकोण होने चाहिये |यदि चारो कोनो में से एक भी छोटा हो ! तो उस स्तिथि को “कोणवेध” कहते है! कोणवेध युक्त मकान में रहने वालो को मृत्यु समान पीड़ा सहन करनी पड़ती है! #अकपाटमनाच्छननामदत्तबलिभोजनम ! #गृहमनप्रविशेदवम_विपदामाकारम_हीततः!घर बनाने से पहले पूजास्थान {ईशानकोण}, माता पिता का, अपना कमरा और बाद में बच्चे और अतिथि के कमरे का स्वरुप दे! नौकर को बाहरी स्थान में वास कराऐ ! जिस प्रकार मानव जीवन में भोजन और वस्त्र का महत्व है “वास का भी उतना ही महत्त्व है।१. शयन कक्ष में मंदिर नहीं होनी चाहिए या बच्चे उस कमरे में सो सकते है।२. पश्चिम या दक्षिण में शयन कक्ष होना उत्तम है, पूर्व या उत्तर में नव दंपत्ति नहीं सो सकते है।३. घर के दरवाजे एक कतार में दो से अधिक नहीं होनी चाहिए ! दरवाजे की संख्या समसंख्या में होना शुभ है, घर की खिड़किया समसंख्या में होनी चाहिए।४. गृह निर्माण कार्य “नैतृत्य” से आरम्भ करे। पश्चिम, दक्षिण या पूरब उत्तर के एक दिशा में खुली जगह अवश्य रहनी चाहिए।५. रसोईघर “आग्नेय” में होना चाहिए।६. रसोई बनाते समय रसोई में काम करने वाले का मूह पुर्व दिशा में हो, और रसोई घर का दरवाज़ा मध्य में रहने चाहिए।७. अतिथि कमरा “वायव्य” में होना चहिये।८. मकान में शौचालय दक्षिण या पश्चिम में होना चाहिए और दरवाज़ा पूरब में।९. स्नान घर और स्नान पूरब दिशा की ओर होना उत्तम है।१०. जहा आप घर लेने जा रहे है, वहां घर के अगल- बगल में बड़ी इमारत, पेड़ या मंदिर नहीं होना चाहिए।११. घर के सामने का रास्ता समाप्त नहीं होना चाहिए ! उसे “विथिशूल” कहा जाता है। वहां तरक्की नहीं होती और अशांति बनी रहती है।१२. घर में बरामदा जरूर रखे।१३. घर के मुख्य सीढ़िया दक्षिण या पश्चिम की या वायव्य आग्नेय दिशा में भी ठीक है। मकान में सीढियां विषम सख्या में ही रखे।१४. रसोई घर में गैस चूल्हा स्लैप की आग्नेय में या दक्षिण की तरफ दीवाल से कुछ दूरी पर रहना चाहिए।१५. शौचालय में नल ईशान पूरब या उत्तर की तरफ लगाये।१६. भोजनालय या बैठक का दरवाज़ा उत्तर या पूर्व में होना चाहिये।१७. मकान में तहखाना शुभ नहीं होता और मकान में हर कमरा उच्च नीच नहीं होना चाहिए यानि समतल और नीचे चौखट रहना शुभ है जो आज कल नहीं दिखाई देता।१८. कमरे में पूर्व या उत्तर में देवी देवता का चित्र लगाना चाहिए, दक्षिण में पूर्वजो (मृत लोगो) का चित्र और पश्चिम में प्रकृति से संबधित चित्र लगा सकते है।१९. रसोई या शौचालय के सामने मुख्य प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए।BAL Vnita mahila ashram🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मनुष्य के जीवन में कुंडली के बाद-- :”स्थान दोष” बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। स्थान दोष के साथ वेध दोष भी मनुष्य को प्रभावित करता है जो विभिन्न प्रकार के वास्तु वेधो की संक्षिप्त जानकारी #प्रस्तुत कर रहा हूँ –👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇१.दिशा वेध- किसी भी घर का निर्माण अपने इच्छा अनुसार नहीं करना चाहिए ! उससे धन और कुल का नाश होता है।२ कोण वेध – मकान के चारों कोने समकोण होने चहिये। कोई भी कोने आगे पीछे या ज्यादा अधिक हुआ तो कोण वेध कहते हैं। उसमे रहने वाले मानसिक और शाररिक कष्ट पाते हैं।३ द्वार वेध - घर के द्वार के सामने या अगल बगल पेड, बिजली का पोल,पानी का भराव या किसी भी प्रकार के वस्तु को द्वार वेध कहते हैं उसमें तरक्की नहीं है, और अपमान सहना पड़ता है।४ स्वर वेध – मकान का दरवाज़ा खोलते या बंद करते समय आवाज नहीं होनी चाहिए ! उसे स्वर वेध कहते है।५ स्तंभ वेध – मकान के अन्दर आते ही कोई स्तंभ दिखाए दे, तो स्तम्भ वेध बनता है। इससे पुत्र और धन का नाश होता है।६ छिद्र वेध – घर के पिछवारे में खुला हो तो उसे छिद्र वेध कहते है। इससे शकून नहीं मिलता है। कुछ लोग पिछवारे का दक्षिण में हवा या प्रकाश के लिए खोलते हैं, तो यही दोष लग जाता है।७ दृष्टी वेध – घर में प्रवेश करते ही घर सूना सूना या भय, डर लगे तो इस प्रकार के घर को दृष्टी वेध कहा जाता है। उसमे रहने बाला दरिद्र बनते है, और घर में अनिष्ट होते है।८ चित्र वेध (शिल्प वेध)- जिस मकान में बाघ सिंह, कुता, क्रूर प्राणी, कौआ, उल्लू , गीध, भूत, प्रेत, राक्षस, युद्ध के प्रसंग का चित्र हो तो निसंदेह उस मकान में “चित्र वेध” होता है। उसे लगाने के बाद तरक्की रुक जाती है।९ सम वेध –प्रथम मंजिल के अनुसार दोसरी मंजिल ऊचाई के आधार पर तो सम वेध होता है याना प्रथम मंजिल १२ फीट का है तो दूसरा ११ या १० फीट का रहना चाहिए, ऐसे घर में रहने से कलह या परिवार का विच्छेद होता है।१० आकार वेध – मकान अनेक आकार के होते है, उसे आकार वेध कहते है जैसे मकान का ऊपर का हिस्सा जापनीज शैली का और नीचे भारतीय शैली का हो तो उसे आकार वेध कहते है। उसमे सुख शान्ति नहीं मिलती साथ ही तहखाना भी इसी दोष में आता है।११ रूप परिवर्तन वेध – मकान में बार बार तोड़ फोड़ हो, या मुख्य दरवाज़े को इच्छा अनुसार सजाने पर रूप परिवर्तन दोष लग जाता है। ऐसे घर में मानसिक कष्ट और अपयश लगता है।१२ आन्त्तर वेध – घर में गृह प्रवेश के बाद बटवारा होने के कारण दीवार बनने पर अंतर वेध होता है, उससे संपत्ति का नाश और कष्ट प्रारंभ होता है।१३ वृक्ष वेध – घर के सामने कोई भी वृक्ष हो तो वृक्ष वेध बनता है। इससे शांति पूर्ण जीवन जीने में कठिनाइया आती है।१४ स्थान वेध – मकान के सामने धोबी, लोहार, चक्की या निःसंतान का मकान हो तो स्थान वेध उत्पन्न होता है ऐसे घर कलह प्रधान होते है।वास्तु की प्राथमिक जानकारी आप इस चित्र में जान सकते है। 🙏🙏🙏🙏

🌹वास्तुशास्त्र_और_महत्वपूर्ण_विचार🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 वास्तुशास्त्रं_प्रवक्ष्यामी_लोकानां_हितकाम्यया।  वास्तुशास्त्र_शब्द_का_अर्थ_है। #निवास_करना!, जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते है उसे “वास्तु” कहा जाता है। वास्तु देवता को आत्मावर्धनशील भी कहा गया है। एक कहावत है की अंधकासुर दैत्य एवम भगवान शंकर के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में शंकरजी के शरीर से पसीने की कुछ बुँदे ज़मीन पर गिर परी, उन बूंदों से आकाश और पृथ्वी को भयभीत करने वाला एक प्राणी प्रकट हुआ। और देवो के साथ युद्ध करने लगा। तब सब देवताओ ने उसे पकड कर उसका मुह नीचे करके दबा दिया और उसको शांत करने के लिए वर दिया __ “सभी शुभ कार्यो में तेरी पूजा होगी”! तब देवों ने उस पुरुष पर वास किया । इससे कारण उसका नाम “वस्तापुरुष” प्रचलित हुआ। उस पर सभी देवता निवास करते है अतः सभी बुद्दिमान पुरुष उसकी पुजा करते हैं। तब से सभी शुभ कार्यो में जैसे ग्राम, नगर, दुर्ग, मंदिर, मकान, जलाशय, उद्यान, आदि आदि के निर्माण के अवसर पर वास्तुपुरुष की पुजा अनिवार्य है। वास्तु-पुरुष की पूजा गृह निर्माण के आरम्भ में, द्वार बनाने के...

🌺वास्तू एवं ज्योतिष शास्त्र की कुछ बातें🌺By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦🌺शनिवार के दिन कुछ सामानो को घर में नहीं लानी चाहिए या इस दिन इन्हें नहीं खरीदना चाहिए।🌺लोहे का सामान :-🌺शनिवार को लोहे का बना कोई भी सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिवार को लोहे का सामान क्रय करने से शनि देव कुपित होते हैं।🌺इस दिन लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है। लोहे का सामान दान करने से शनि देव की कोप दृष्टि निर्मल होती है और घाटे में चल रहा व्यापार मुनाफा देने लगता है। 🌺इसके अतिरिक्त शनि देव यंत्रों से होने वाली दुर्घटना से भी बचाते हैं।BAL Vnita mahila ashram🌺तेल :-🌺इस दिन तेल खरीदने से भी बचना चाहिए। हालांकि तेल का दान किया जा सकता है। काले श्वान को सरसों के तेल से बना हलुआ खिलाने से शनि की दशा टलती है। 🌺ज्योतिष के अनुसार, शनिवार को सरसों या किसी भी पदार्थ का तेल खरीदने से वह रोगकारी होता है।🌺नमक :- 🌺नमक हमारे भोजन का सबसे अहम हिस्सा है। अगर नमक खरीदना है तो बेहतर होगा शनिवार के बजाय किसी और दिन ही खरीदें। शनिवार को नमक खरीदने से यह उस घर पर कर्ज एवं रोग लाता है।🌺कैंची :-🌺कैंची ऐसी चीज है जो कपड़े, कागज आदि काटने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है। पुराने समय से ही कपड़े के कारोबारी, टेलर आदि शनिवार को नई कैंची नहीं खरीदते।🌺इसके पीछे यह मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कैंची रिश्तों में तनाव लाती है। इसलिए अगर आपको कैंची खरीदनी है तो किसी अन्य दिन खरीदें।🌺काले तिल :-🌺सर्दियों में काले तिल शरीर को पुष्ट करते हैं। ये शीत से मुकाबला करने के लिए शरीर की गर्मी को बरकरार रखते हैं। पूजन में भी इनका उपयोग किया जाता है। 🌺शनि देव की दशा टालने के लिए काले तिल का दान और पीपल के वृक्ष पर भी काले तिल चढ़ाने का नियम है।🌺लेकिन शनिवार को काले तिल कभी न खरीदें। कहा जाता है कि इस दिन काले तिल खरीदने से कार्यों में बाधा आती है।🌺काले जूते :-🌺काले रंग या चमड़े के जूते शनिवार को न खरीदें। मान्यता है कि शनिवार को खरीदे गए काले जूते पहनने वाले को कार्य में असफलता दिलाते हैं।🌺ईंधन :-🌺रसोई के लिए ईंधन, माचिस, केरोसीन आदि ज्वलनशील पदार्थ आवश्यक माने जाते हैं। भारतीय संस्कृति में अग्नि को देवता माना गया है और ईंधन की पवित्रता पर विशेष जोर दिया गया है लेकिन शनिवार को ईंधन खरीदना वर्जित है। कहा जाता है कि शनिवार को घर लाया गया ईंधन परिवार को कष्ट पहुंचाता है।🌺झाड़ू :-🌺झाड़ू घर के विकारों को बुहार कर उसे निर्मल बनाती है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। झाड़ू खरीदने के लिए शनिवार को उपयुक्त नहीं माना जाता। शनिवार को नया झाड़ू घर लाने से दरिद्रता का आगमन होता है। परन्तु नये झाड़ू का इस्तेमाल इस दिन से कर सकते हैं।🌺अनाज पीसने की चक्की :-🌺अनाज पीसने के लिए चक्की भी शनिवार को नहीं खरीदनी चाहिए। माना जाता है कि यह परिवार में तनाव लाती है और इसके आटे से बना भोजन रोगकारी होता है।🌺लिखने-पढने की सामग्री :-🌺विद्या मनुष्य को यश और प्रसिद्धि दिलाती है। कागज, कलम और दवात आदि खरीदने के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन गुरुवार है।इन्हें शनिवार को नही खरीदें यह मनुष्य को अपयश का भागी बनाती है।🌺खान-पान एवं सुखोपभोग (ऐश्वर्य) की सभी सामग्री खरीदने के लिए शुक्रवार का दिन सर्वोतम होता है।

🌺वास्तू एवं ज्योतिष शास्त्र की कुछ बातें🌺 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 🌺शनिवार के दिन कुछ सामानो को घर में नहीं लानी चाहिए या इस दिन इन्हें नहीं खरीदना चाहिए। 🌺लोहे का सामान :- 🌺शनिवार को लोहे का बना कोई भी सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिवार को लोहे का सामान क्रय करने से शनि देव कुपित होते हैं। 🌺इस दिन लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है। लोहे का सामान दान करने से शनि देव की कोप दृष्टि निर्मल होती है और घाटे में चल रहा व्यापार मुनाफा देने लगता है।  🌺इसके अतिरिक्त शनि देव यंत्रों से होने वाली दुर्घटना से भी बचाते हैं। BAL Vnita mahila ashram 🌺तेल :- 🌺इस दिन तेल खरीदने से भी बचना चाहिए। हालांकि तेल का दान किया जा सकता है। काले श्वान को सरसों के तेल से बना हलुआ खिलाने से शनि की दशा टलती है।  🌺ज्योतिष के अनुसार, शनिवार को सरसों या किसी भी पदार्थ का तेल खरीदने से वह रोगकारी होता है। 🌺नमक :-  🌺नमक हमारे भोजन का सबसे अहम हिस्सा है। अगर नमक खरीदना है तो बेहतर होगा शनिवार के बजाय किसी और दिन ही खरीदें। शनिवार को नमक ...

Essay on the Miracle of Science (Vigyan Ke Chamatkar Essay In Hindi)By Social Worker Vanita Kasaniyan Punjab:Today we will write an essay on the miracle of science (Essay On Vigyan Ke Chamatkar In Hindi). And

विज्ञान का चमत्कार पर निबंध (Vigyan Ke Chamatkar Essay In Hindi) By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 आज हम  विज्ञान का चमत्कार   पर   निबंध  (Essay On Vigyan Ke Chamatkar In Hindi)  लिखेंगे। विज्ञान का चमत्कार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है। विज्ञान का चमत्कार पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Vigyan Ke Chamatkar In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है। विज्ञान का चमत्कार पर निबंध (Vigyan Ke Chamatkar Essay In Hindi) By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 प...

Vastu Tips For a Healthy Kitchen : कहीं आप भी तो इस द‍िशा में मुख करके नहीं बनाते भोजन, होती है अनहोनी जरूर जान लेंBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦 1/4भोजन बनाते समय इस बात का ध्‍यान जरूर रखेंअगर आपकी लाइफ में अचानक से टेंशन बढ़ने लगे या फ‍िर एक के बाद एक द‍िक्‍कतें लगी ही रहती हों तो सतर्क हो जाएं। एक बार यह जरूर देख लें आप क‍िस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाते हैं। वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर सही द‍िशा में मुख करके भोजन न बनाया जाए तो अनहोनी की आशंका बढ़ जाती है। तो आइए जानते हैं क‍िस द‍िशा में मुख करके भोजन नहीं बनाना चाह‍िए?2/4इस द‍िशा में मुख करना खड़ी करता है द‍िक्‍कतेंवास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार कभी भी उत्‍तर द‍िशा की ओर मुख करके भोजन नहीं बनाना चाह‍िए। कहते है क‍ि यह अत्‍यंत अशुभ होता है। अगर इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाया जाए तो घर में वाद-व‍िवाद बढ़ जाता है। आर्थिक हान‍ि भी लगातार लगी ही रहती है। कार्यक्षेत्र में भी आए द‍िन उच्‍चाध‍िकार‍ियों और सहयोग‍ियों के साथ लड़ाई-झगड़ा लगा ही रहता है।कालाष्‍टमी व्रत आज, इस मुहूर्त में करेंगे पूजा तो काल भैरव होंगे प्रसन्‍न, यहां जानें व्रत का महत्‍व और कथा3/4इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाने से होती है हान‍िवास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार भूलकर भी दक्षिण द‍िशा की ओर मुख करके भोजन नहीं बनाना चाह‍िए। कहा जाता है क‍ि इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाने से जातक को आए द‍िन जोड़ों के दर्द, माइग्रेन और कंधों के दर्द की समस्‍या लगी ही रहती है। इसके अलावा धन संबंधी मामलों में भी द‍िक्‍कतें लगी रहती हैं। धन संचय करने के सारे प्रयास भी व्‍यर्थ ही जाते हैं।BAL Vnita mahila ashram हथेली पर इनको मानते हैं अशुभ संकेत, द‍िखते ही हो जाएं सतर्क4/4इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाने से आती हैं खुश‍ियांवास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार पूर्व द‍िशा में मुख करके भोजन बनाना अत्‍यंत शुभ होता है। कहा जाता है क‍ि इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही माता अन्‍नपूर्णा के आशीर्वाद से घर-पर‍िवार के सभी सदस्‍यों के जीवन में कभी भी धन-धान्‍य की कमी नहीं होती। सभी सेहतमंद रहते हैं।

Vastu Tips For a Healthy Kitchen : कहीं आप भी तो इस द‍िशा में मुख करके नहीं बनाते भोजन, होती है अनहोनी जरूर जान लें By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब:🥦🌹🙏🙏🌹🥦     1/4 भोजन बनाते समय इस बात का ध्‍यान जरूर रखें "> अगर आपकी लाइफ में अचानक से टेंशन बढ़ने लगे या फ‍िर एक के बाद एक द‍िक्‍कतें लगी ही रहती हों तो सतर्क हो जाएं। एक बार यह जरूर देख लें आप क‍िस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाते हैं। वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर सही द‍िशा में मुख करके भोजन न बनाया जाए तो अनहोनी की आशंका बढ़ जाती है। तो आइए जानते हैं क‍िस द‍िशा में मुख करके भोजन नहीं बनाना चाह‍िए? 2/4 इस द‍िशा में मुख करना खड़ी करता है द‍िक्‍कतें "> वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार कभी भी उत्‍तर द‍िशा की ओर मुख करके भोजन नहीं बनाना चाह‍िए। कहते है क‍ि यह अत्‍यंत अशुभ होता है। अगर इस द‍िशा में मुख करके भोजन बनाया जाए तो घर में वाद-व‍िवाद बढ़ जाता है। आर्थिक हान‍ि भी लगातार लगी ही रहती है। कार्यक्षेत्र में भी आए द‍िन उच्‍चाध‍िकार‍ियों और सहयोग‍ियों के साथ लड़ाई-झगड़ा लगा ही रहता है। कालाष्‍टमी व्रत आज, इस मुहूर्त में करेंगे प...