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यदि आपका घर ऐसा है तो सतर्क हो जाएं...हमेशा दशा और दिशा की बात हर क्षेत्र में होती है। आपके शरीर की दशा और दिशा भी ठीक होना जरूरी है और घर की भी। शरीर भी आपके घर है और आपका घर जिसमें आप रहते हैं वह आपका बड़ा शरीर है, तो इसे अंदर से ठीक रखना जरूरी है। घर के अंदर का वास्तु कैसा हो यह जानना जरूरी है। यदि वास्तु खराब है तो प्रगति रुक जाएगी, गृहकलह बढ़ जाएगा, ‍बीमारी पीछे लग जाएगी या शांति और खुशहाली नष्ट हो जाएगी। क्या आपका घर किस तरह के वास्तुदोष से ग्रस्त है जानिए... अगले पन्ने पर जानिए पहली महत्वपूर्ण बात... दिशा सही नहीं तो दशा भी सही नहीं : वैसे दिशाएं 10 होती हैं, लेकिन एक 11वीं दिशा भी होती है जिसे मध्य में माना जा सकता है अर्थात आप जहां खड़े हैं। ये 11 दिशाएं : ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और उत्तर। इसके अलावा 3 दिशाएं ऊपर, नीचे और मध्य में।यदि आपके घर की दिशा पूर्व, आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य में से कोई एक है तो आपको इसके उपाय करने होंगे। पूर्व और अग्नेय मुखी मकान के वास्तुदोष को थोड़े बहुत उपाय करके मिटाया जा सकता है लेकिन यदि दक्षिण और नैऋत्यमुखी मकान है तो उसे त्यागने में ही भलाई है। दक्षिण भाग सीड़ी, ओवरहेड टंकी, अलमारी आदि से वजनदार बनाए। यदि आपका मकान पूर्व या आग्नेय में है तो पूर्व-आग्नेय कोण में पूजाघर, पानी का स्थान नहीं होना चाहिए। सीढ़ियों का निर्माण, टॉयलेट, ड्राईंगरूम, स्टोर का निर्माण यहां किया जा सकता है। इसके अलावा इस दिशा में जनरेटर, बिजली का खम्भा या बिजली के मीटर इत्यादि लगाए जा सकते हैं। अगले पन्ने पर दूसरी महत्वपूर्ण बात... जिस घर का खराब है मध्य भाग : घर की दिशाओं में सबसे आखिरी और बेहद महत्वपूर्ण दिशा है घर की मध्य दिशा। यह दिशा घर के बिलकुल बीचोबीच होने के कारण घर की हर दिशा से जुड़ी होती है इसीलिए किसी भी दिशा का नकारात्मक प्रभाव इस दिशा पर होना आम बात है। मध्य भाग खराब है तो ब्रह्मा का यह स्थान केतु का स्थान बन जाता है।बहुत से घरों में देखा गया है कि बीच में गड्ढा होता है। हो सकता है कि घर के बीचोबीच कोई खंभा गड़ा हो, टॉयलेट या वॉशरूम बना हो या किसी भी प्रकार का भारी सामान रखा हो। अक्सर लोग यदि 15 बाई 50 या 20 बाई 60 का मकान है, तो उसके बीचोबीच लेट-बाथ बना लेते हैं। इस स्थान पर भारी सामान रखना या निर्माण कार्य करना भी गलत है। यह स्थान ईशान की तरह खाली होना चाहिए। ऐसे घरों में कुछ न कुछ घटनाक्रम चलते ही रहते हैं। बीमारी, दुख पीछे लगे ही रहते हैं या घर के सदस्यों के दिमाग में शांति नहीं रहती है। परेशानियों से घिरे रहने वाले इस घर के मध्यभाग को ठीक कर देने से सभी ठीक होने लगता है। इससे घर-परिवार में सहजता और सृजनात्मक गतिविधियों का ह्रास होता है। घर में ऐसा हो तो परिवार में सुख-शांति घटती है। रहने वालों के बीच दूरियां बढ़ती हैं। संबंधों में गरमाहट कम होती है। अगले पन्ने पर तीसरी महत्वपूर्ण बात... घर की छत : घर की छत पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। घर की छत कैसी हो यह जानना जरूरी है। घर की छत साफ-सुधरी होना जरूरी है। * घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो। जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए। इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहेगा, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालेगा।*तिरछी छत बनाने से बचें- छत के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि वह तिरछी डिजाइन वाली न हों। इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। * घर की छत की ऊंचाई भी वास्तु अनुसार होना चाहिए।। यदि ऊंचाई 8.5 फुट से कम होती है तो यह आपके लिए कई तरह की समस्याएं लेकर आती है और जीवन में आगे बढ़ना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा है। घर यदि छोटा है तो छत की ऊंचाई कम से कम 10 से 12 फुट तक होनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंची रखने के लिए वास्तुशास्त्री से संपर्क करना चाहिए। * घर की छत पर किसी भी प्रकार की गंदगी न करें। यहां किसी भी प्रकार के बांस या फालतू सामान भी न रखें। जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं। परिवार में भी मनमुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं। * घर की छत पर रखा पानी का टैंक किस दिशा में हो, यह जानना जरूरी है। उत्तर-पूर्व दिशा पानी का टैंक रखने के लिए उचित नहीं है, इससे तनाव बढ़ता है और पढ़ने-लिखने में बच्चों का मन नहीं लगता है। दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है इसलिए भी इसे पानी का टैंक लगाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अग्नि और पानी का मेल होने से गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है। अगले पन्ने पर चौथी महत्वपूर्ण बात... घर का दरवाजा : वैसे घर का दरवाजा पूर्व, ईशान, उत्तर या पश्‍चिम दिशा में हो तो उत्तम है। घर का दरवाजा दो पल्ले वाला होना चाहिए और दरवाजे भी सम संख्या में होना चाहिए। घर के दरवाजे के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी...10 दरवाजे बताएंगे आपका घर किस दिशा में है यह तो सबसे महत्वपूर्ण है ही, लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि कुछ ऐसे घर होते हैं जिनके प्रवेश द्वार पर खड़े होकर घर के अंतिम कमरे को भी आसानी से देखा जा सकता है।अर्थात प्रथम रूम के बाद दूसरे रूम का दरवाजा और फिर तीसरे रूम का दरवाजा भी एक ही सीध में होता है। इसके अलावा अंत में पीछे के दरवाजे से घर के पिछले हिस्से का दृश्य भी आप देख सकते हैं। ऐसे घरों में हवा बाहर से प्रवेश करती है और भीतर के अंतिम द्वार से होते हुए पुन: बाहर निकल जाती है। ऐसे घर के सदस्यों के दिमाग कभी स्थिर नहीं रहते और उनमें वैचारिक भिन्नता भी बनी रहती है। सबसे बड़ी बात यह कि हवा के आने-जाने की तरह ही उनकी जिंदगी में भी एक के बाद एक घटनाक्रमों का आना-जाना लगा रहता है। परिवार में उथल-पुथल मची रहती है। अधिकतर पैसा बीमारी में ही खर्च हो जाता है। किसी बड़ी घटना का इंतजार करने से अच्छा है कि दरवाजों में मोटे कपड़े का पर्दा लगा दें और पीछे का दरवाजा हमेशा बंद ही रखें। अगले पन्ने पर पांचवीं महत्वपूर्ण बात... नकारात्मक पौधे : आपके घर की दिशा और वास्तु अच्छा है लेकिन घर के आसपास नकारात्मक ऊर्जा विसरित करने वाले पेड़-पौधे हैं तो इसका आपकी जिंदगी पर विपरित असर होगा। पेड़ को घर के मुख्य द्वार पर कभी भी न लगाएं। कांटेदार पौधे, वृक्ष और बेलें नहीं होना चाहिए, जैसे बबूल का वृक्ष, कैक्टस के पौधे और जंगली बेलें आदि। इसके अलावा घर के आसपास किसी कटे हुए वृक्ष का ठूंठ भी नहीं होना चाहिए। इससे भी घर के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा को बल मिलता है। घर के बाहर नीम, चंदन, नींबू, आम, आंवला, अनार आदि के पेड़-पौधे अपने घर में लगाए जा सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके आंगन में लगे पेड़ों की गिनती 2, 4, 6, 8... जैसे सम संख्‍या में होनी चाहिए। विषय संख्‍या में नहीं। पेड़ों को घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाएं। वैसे कायदे से पेड़ सिर्फ एक दिशा में ही न लग कर इन दोनों दिशाओं में लगे होने चाहिए। इसी तरह घर के अंदर आप गमलों में कौन से पौधे लगाते हैं या लगा रखें है यह ध्यान देना भी जरूरी है। मनी प्लांट, खुशबूदार पौधे लगा सकते हैं लेकिन यह ध्यान देना भी जरूरी है कि कौन सा पौधा किस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। आपके घर के शुभ ग्रहों के बल को बढ़ाने वाले शो प्लांट्स होना चाहिए। अगले पन्ने पर छठी महत्वपूर्ण बात... खिड़कियों का रखें ध्यान : इस बात की जांच करें कि आपके घर में दरवाजे और खिड़कियां विषम संख्या में तो नहीं हैं। अगर ऐसा है तो किसी एक दरवाजे या खिड़की को बंद कर दें और उनकी संख्या को सम कर दें।इसके अलावा जिस घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर खिड़कियां होती हैं, वह वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। अगर आपके घर में भी ऐसा है, तो आप इन दोनों खिड़कियों पर गोल पत्ते वाले पौधे लगाएं। अगले पन्ने पर सातवीं महत्वपूर्ण बात... घर की सीढ़ियां : वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेह होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है। मुख्य दरवाजे खुलते ही सीढ़ियां नहीं होना चाहिए। अगले पनने पर आठवीं महत्वपूर्ण बात... टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।तलघर : जिन घरों में तलघर होता है उसे शनि का घर कहा गया है। यदि वहां घर के आसपास कीकर, आम या खजूर का वृक्ष है तो यह और पक्का हो जाएगा कि यह शनि का घर है। तलघर वाले घर के पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह ‍दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है।यदि तलघर है तो इस तलघर को वास्तु अनुसार बनाएं या वह जैसा है उसे वैसा ही पड़ा रहने दें। उसमें उजाले के लिए कभी कोई उजालदान न बनाएं। सामान्यत: भवन में सीलर्स और बेसमेंट में कमरे बनाने से बचना चाहि‍ए, जो रोड लेवल से नीचे हों। तलघर बनाना जरूरी हो तो वास्‍तु के अनुसार तलघर या बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहि‍ए। बेसमेंट को कुछ हद तक रोड लेवल के ऊपर रखें। पूरे प्लॉट को कवर करने वाला बेसमेंट उचि‍त होता है। अगर बेसमेंट के कि‍सी एक हि‍स्‍से में ही तलघर बनाना हो तो उसे केवल उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्वी दि‍शा में ही बनाएं। तलघर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्वी दि‍शा में होना चाहि‍ए। तलघर की दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दि‍शा का उपयोग भारी सामान के स्‍टोरेज के रूप में कि‍या जाना चाहि‍ए। उत्तर- पश्चि‍मी और दक्षि‍ण-पश्चि‍मी भाग नौकरों के रहने या कार पार्किंग के लि‍ए उपयोग कि‍या जाना चाहि‍ए। अगले पन्ने पर नौवीं महत्वपूर्ण बात... घर का फर्श : घर में फर्श कैसा हो, इससे भी आपकी जिंदगी प्रभावित होती है। आप कौन-सी टाइल्स लगा रहे हैं या कि मार्बल, कोटा स्टोन लगा रहे हैं या कि मोजेक? यह किसी वास्तुशास्त्री से पूछना जरूरी है। कोटा स्टोन गर्मियों के लिए फायदेमंद है लेकिन ठंड और बारिश में यह नुकसानदायक ही सिद्ध होगा। इसी तरह टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगाएं।इसके अलावा यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फीट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है, मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है, मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है, घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढ़ियां बनी हुई हैं, इसके अलावा घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढ़िया हैं, इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो ये सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। अगले पन्ने पर दसवीं महत्वपूर्ण बात... आग्नेय कोण में स्थित टैंक कर देगा बर्बाद : यदि आपका घर पूर्व दिशा में है तो अधिकतर लोगों के घरों के आग्नेय कोण में बाहर की ओर भूमिगत टैंक होता है, जहां पानी को स्टोर किया जाता है। यह वास्तु के अनुसार सही नहीं है।टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।वेबदुनिया पर पढ़ेंसमाचारबॉलीवुडलाइफ स्‍टाइलज्योतिषमहाभारत के किस्सेरामायण की कहानियांधर्म-संसाररोचक और रोमांचकसभी देखें प्रचलितश्री बजरंग बाण का पाठश्री हनुमान चालीसाआधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?रोज खाएं मखाना और इन 6 बीमारियों को करें टाटाबड़ी खबर, 7 मई तक जारी रहेगा Corona कर्फ्यू, आगे भी बढ़ सकता हैसम्बंधित जानकारीआसिफ कपाड़िया की ‘एमी’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के लिए ऑस्करघर की सजावट में हाथी होता है शुभ, पढ़ें अनूठे वास्तु टिप्सवकीलों के सामने कन्हैया कुमार का सनसनीखेज खुलासा (वीडियो)कन्हैया पर हमले का आरोपी वकील गिरफ्तारक्यों वायरल हुआ है ओबामा का यह वीडियो...ज़रूर पढ़ेंकैसा है आपके घर का मुख्य द्वार, यह 5 बातें बहुत काम की हैंचांदी की मछली घर में रखने से टल जाते हैं संकट, हमीरपुर जिले की चांदी की मछली है मशहूरVastu Tips : कहां उतारते हैं आप अपने जूते-चप्पल, आ सकता है संकटउल्लू का दिखना या आवाज सुनना, जानिए भविष्य के 12 संकेतघर में चांदी का मोर रखने से चमक जाएगी किस्मत, दिलचस्प जानकारीसभी देखें नवीनतम29 अप्रैल 2021 : दिन की शुभता के लिए आज 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यदि आपका घर ऐसा है तो सतर्क हो जाएं...

हमेशा दशा और दिशा की बात हर क्षेत्र में होती है। आपके शरीर की दशा और दिशा भी ठीक होना जरूरी है और घर की भी। शरीर भी आपके घर है और आपका घर जिसमें आप रहते हैं वह आपका बड़ा शरीर है, तो इसे अंदर से ठीक रखना जरूरी है। 
घर के अंदर का वास्तु कैसा हो यह जानना जरूरी है। यदि वास्तु खराब है तो प्रगति रुक जाएगी, गृहकलह बढ़ जाएगा, ‍बीमारी पीछे लग जाएगी या शांति और खुशहाली नष्ट हो जाएगी। क्या आपका घर किस तरह के वास्तुदोष से ग्रस्त है जानिए...
 
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दिशा सही नहीं तो दशा भी सही नहीं : वैसे दिशाएं 10 होती हैं, लेकिन एक 11वीं दिशा भी होती है जिसे मध्य में माना जा सकता है अर्थात आप जहां खड़े हैं। ये 11 दिशाएं : ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और उत्तर। इसके अलावा 3 दिशाएं ऊपर, नीचे और मध्य में।
यदि आपके घर की दिशा पूर्व, आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य में से कोई एक है तो आपको इसके उपाय करने होंगे। पूर्व और अग्नेय मुखी मकान के वास्तुदोष को थोड़े बहुत उपाय करके मिटाया जा सकता है लेकिन यदि दक्षिण और नैऋत्यमुखी मकान है तो उसे त्यागने में ही भलाई है। दक्षिण भाग सीड़ी, ओवरहेड टंकी, अलमारी आदि से वजनदार बनाए।
 
यदि आपका मकान पूर्व या आग्नेय में है तो पूर्व-आग्नेय कोण में पूजाघर, पानी का स्थान नहीं होना चाहिए। सीढ़ियों का निर्माण, टॉयलेट, ड्राईंगरूम, स्टोर का निर्माण यहां किया जा सकता है। इसके अलावा इस दिशा में जनरेटर, बिजली का खम्भा या बिजली के मीटर इत्यादि लगाए जा सकते हैं। 
अगले पन्ने पर दूसरी महत्वपूर्ण बात...
 

जिस घर का खराब है मध्य भाग : घर की दिशाओं में सबसे आखिरी और बेहद महत्वपूर्ण दिशा है घर की मध्य दिशा। यह दिशा घर के बिलकुल बीचोबीच होने के कारण घर की हर दिशा से जुड़ी होती है इसीलिए किसी भी दिशा का नकारात्मक प्रभाव इस दिशा पर होना आम बात है। मध्य भाग खराब है तो ब्रह्मा का यह स्थान केतु का स्थान बन जाता है।
बहुत से घरों में देखा गया है कि बीच में गड्ढा होता है। हो सकता है कि घर के बीचोबीच कोई खंभा गड़ा हो, टॉयलेट या वॉशरूम बना हो या किसी भी प्रकार का भारी सामान रखा हो। अक्सर लोग यदि 15 बाई 50 या 20 बाई 60 का मकान है, तो उसके बीचोबीच लेट-बाथ बना लेते हैं। इस स्थान पर भारी सामान रखना या निर्माण कार्य करना भी गलत है। यह स्थान ईशान की तरह खाली होना चाहिए।
 
ऐसे घरों में कुछ न कुछ घटनाक्रम चलते ही रहते हैं। बीमारी, दुख पीछे लगे ही रहते हैं या घर के सदस्यों के दिमाग में शांति नहीं रहती है। परेशानियों से घिरे रहने वाले इस घर के मध्यभाग को ठीक कर देने से सभी ठीक होने लगता है। इससे घर-परिवार में सहजता और सृजनात्मक गतिविधियों का ह्रास होता है। घर में ऐसा हो तो परिवार में सुख-शांति घटती है। रहने वालों के बीच दूरियां बढ़ती हैं। संबंधों में गरमाहट कम होती है।
 
अगले पन्ने पर तीसरी महत्वपूर्ण बात...
 

घर की छत : घर की छत पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। घर की छत कैसी हो यह जानना जरूरी है। घर की छत साफ-सुधरी होना जरूरी है।
 
* घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो। जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए। इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहेगा, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालेगा।
*तिरछी छत बनाने से बचें- छत के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि वह तिरछी डिजाइन वाली न हों। इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
 
* घर की छत की ऊंचाई भी वास्तु अनुसार होना चाहिए।। यदि ऊंचाई 8.5 फुट से कम होती है तो यह आपके लिए कई तरह की समस्याएं लेकर आती है और जीवन में आगे बढ़ना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा है। घर यदि छोटा है तो छत की ऊंचाई कम से कम 10 से 12 फुट तक होनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंची रखने के लिए वास्तुशास्त्री से संपर्क करना चाहिए। 
 
* घर की छत पर किसी भी प्रकार की गंदगी न करें। यहां किसी भी प्रकार के बांस या फालतू सामान भी न रखें। जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं। परिवार में भी मनमुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं।
 
* घर की छत पर रखा पानी का टैंक किस दिशा में हो, यह जानना जरूरी है। उत्तर-पूर्व दिशा पानी का टैंक रखने के लिए उचित नहीं है, इससे तनाव बढ़ता है और पढ़ने-लिखने में बच्चों का मन नहीं लगता है। दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है इसलिए भी इसे पानी का टैंक लगाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अग्नि और पानी का मेल होने से गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है। 
 
अगले पन्ने पर चौथी महत्वपूर्ण बात...
 

घर का दरवाजा : वैसे घर का दरवाजा पूर्व, ईशान, उत्तर या पश्‍चिम दिशा में हो तो उत्तम है। घर का दरवाजा दो पल्ले वाला होना चाहिए और दरवाजे भी सम संख्या में होना चाहिए।
 
घर के दरवाजे के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी...10 दरवाजे बताएंगे आपका 
 
घर किस दिशा में है यह तो सबसे महत्वपूर्ण है ही, लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि कुछ ऐसे घर होते हैं जिनके प्रवेश द्वार पर खड़े होकर घर के अंतिम कमरे को भी आसानी से देखा जा सकता है।
अर्थात प्रथम रूम के बाद दूसरे रूम का दरवाजा और फिर तीसरे रूम का दरवाजा भी एक ही सीध में होता है। इसके अलावा अंत में पीछे के दरवाजे से घर के पिछले हिस्से का दृश्य भी आप देख सकते हैं। ऐसे घरों में हवा बाहर से प्रवेश करती है और भीतर के अंतिम द्वार से होते हुए पुन: बाहर निकल जाती है।
 
ऐसे घर के सदस्यों के दिमाग कभी स्थिर नहीं रहते और उनमें वैचारिक भिन्नता भी बनी रहती है। सबसे बड़ी बात यह कि हवा के आने-जाने की तरह ही उनकी जिंदगी में भी एक के बाद एक घटनाक्रमों का आना-जाना लगा रहता है। परिवार में उथल-पुथल मची रहती है। अधिकतर पैसा बीमारी में ही खर्च हो जाता है। किसी बड़ी घटना का इंतजार करने से अच्छा है कि दरवाजों में मोटे कपड़े का पर्दा लगा दें और पीछे का दरवाजा हमेशा बंद ही रखें।
 
अगले पन्ने पर पांचवीं महत्वपूर्ण बात...
 

नकारात्मक पौधे : आपके घर की दिशा और वास्तु अच्छा है लेकिन घर के आसपास नकारात्मक ऊर्जा विसरित करने वाले पेड़-पौधे हैं तो इसका आपकी जिंदगी पर विपरित असर होगा। पेड़ को घर के मुख्य द्वार पर कभी भी न लगाएं। 
कांटेदार पौधे, वृक्ष और बेलें नहीं होना चाहिए, जैसे बबूल का वृक्ष, कैक्टस के पौधे और जंगली बेलें आदि। इसके अलावा घर के आसपास किसी कटे हुए वृक्ष का ठूंठ भी नहीं होना चाहिए। इससे भी घर के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा को बल मिलता है।
 
घर के बाहर नीम, चंदन, नींबू, आम, आंवला, अनार आदि के पेड़-पौधे अपने घर में लगाए जा सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके आंगन में लगे पेड़ों की गिनती 2, 4, 6, 8... जैसे सम संख्‍या में होनी चाहिए। विषय संख्‍या में नहीं। पेड़ों को घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाएं। वैसे कायदे से पेड़ सिर्फ एक दिशा में ही न लग कर इन दोनों दिशाओं में लगे होने चाहिए। 
 
इसी तरह घर के अंदर आप गमलों में कौन से पौधे लगाते हैं या लगा रखें है यह ध्यान देना भी जरूरी है। मनी प्लांट, खुशबूदार पौधे लगा सकते हैं लेकिन यह ध्यान देना भी जरूरी है कि कौन सा पौधा किस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। आपके घर के शुभ ग्रहों के बल को बढ़ाने वाले शो प्लांट्स होना चाहिए।
 
अगले पन्ने पर छठी महत्वपूर्ण बात...
 

खिड़कियों का रखें ध्यान : इस बात की जांच करें कि आपके घर में दरवाजे और खिड़कियां विषम संख्या में तो नहीं हैं। अगर ऐसा है तो किसी एक दरवाजे या खिड़की को बंद कर दें और उनकी संख्या को सम कर दें।
इसके अलावा जिस घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर खिड़कियां होती हैं, वह वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। अगर आपके घर में भी ऐसा है, तो आप इन दोनों खिड़कियों पर गोल पत्ते वाले पौधे लगाएं।
 
अगले पन्ने पर सातवीं महत्वपूर्ण बात...
 

घर की सीढ़ियां : वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेह होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है। मुख्य दरवाजे खुलते ही सीढ़ियां नहीं होना चाहिए।
 
अगले पनने पर आठवीं महत्वपूर्ण बात...
 
 
टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।

तलघर : जिन घरों में तलघर होता है उसे शनि का घर कहा गया है। यदि वहां घर के आसपास कीकर, आम या खजूर का वृक्ष है तो यह और पक्का हो जाएगा कि यह शनि का घर है। तलघर वाले घर के पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह ‍दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है।
यदि तलघर है तो इस तलघर को वास्तु अनुसार बनाएं या वह जैसा है उसे वैसा ही पड़ा रहने दें। उसमें उजाले के लिए कभी कोई उजालदान न बनाएं।
 
सामान्यत: भवन में सीलर्स और बेसमेंट में कमरे बनाने से बचना चाहि‍ए, जो रोड लेवल से नीचे हों। तलघर बनाना जरूरी हो तो वास्‍तु के अनुसार तलघर या बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहि‍ए।
 
बेसमेंट को कुछ हद तक रोड लेवल के ऊपर रखें। पूरे प्लॉट को कवर करने वाला बेसमेंट उचि‍त होता है। अगर बेसमेंट के कि‍सी एक हि‍स्‍से में ही तलघर बनाना हो तो उसे केवल उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्वी दि‍शा में ही बनाएं। तलघर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्वी दि‍शा में होना चाहि‍ए। 
 
तलघर की दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दि‍शा का उपयोग भारी सामान के स्‍टोरेज के रूप में कि‍या जाना चाहि‍ए। उत्तर- पश्चि‍मी और दक्षि‍ण-पश्चि‍मी भाग नौकरों के रहने या कार पार्किंग के लि‍ए उपयोग कि‍या जाना चाहि‍ए।
 
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घर का फर्श : घर में फर्श कैसा हो, इससे भी आपकी जिंदगी प्रभावित होती है। आप कौन-सी टाइल्स लगा रहे हैं या कि मार्बल, कोटा स्टोन लगा रहे हैं या कि मोजेक? यह किसी वास्तुशास्त्री से पूछना जरूरी है। कोटा स्टोन गर्मियों के लिए फायदेमंद है लेकिन ठंड और बारिश में यह नुकसानदायक ही सिद्ध होगा। इसी तरह टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगाएं।
इसके अलावा यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फीट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है, मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है, मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है, घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढ़ियां बनी हुई हैं, इसके अलावा घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढ़िया हैं, इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो ये सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।
 
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आग्नेय कोण में स्थित टैंक कर देगा बर्बाद : यदि आपका घर पूर्व दिशा में है तो अधिकतर लोगों के घरों के आग्नेय कोण में बाहर की ओर भूमिगत टैंक होता है, जहां पानी को स्टोर किया जाता है। यह वास्तु के अनुसार सही नहीं है।
टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।

श्री बजरंग बाण का पाठ

श्री हनुमान चालीसा

आधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?

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, नव उमंग व नई ऊर्जा के प्रतीक बसंत पंचमी के पावन पर्व की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। विद्या की देवी मां सरस्वती सबके जीवन में ज्ञान, समृद्धि व उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें, ऐसी कामना करती हूँ।

Hearty greetings to all the countrymen of the holy festival of Basant Panchami, a symbol of new zeal and new energy. Mother Goddess Saraswati wishes to provide knowledge, prosperity and good health in everyone's life.

, वास्तु में घर, कार्यस्थल हर जगह पर निर्माण और सामान रखने से संबंधित महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए गए हैं। वास्तु के अनुसार घर में किसी भी चीज का निर्माण करते समय दिशाओं का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है अन्यथा आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब इसी तरह से सीढ़ियों को तरक्की से जोड़कर देखा जाता है। वास्तु के अनुसार यदि सीढ़ियों की दिशा सही नहीं है तो व्यापार में नुकसान, आर्थिक तंगी और तरक्की में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। गलत तरह और गलत दिशा में बनी हुआ सीढ़ियों का बुरा प्रभाव घर के मुखिया पर पड़ता है। सीढ़ियों का निर्माण यदि वास्तु की बातों को ध्यान में रखकर किया जाए तो तरक्की और आर्थिक समृद्धि पाई जा सकती है। तो चलिए जानते हैं वास्तु के अनुसार कैसी होना चाहिए आपके घर की सीढ़ियां।वास्तु के अनुसार घर में सीढ़ियां हमेशा दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण में बनाना चाहिए। वास्तु के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण करने के लिए यह दिशाएं बहुत अच्छी रहती है।वास्तु में सीढ़ियों के निर्माण के लिए उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण को बिलकुल भी उचित नहीं माना गया है। घर के ईशान कोण में सीढ़ियां भूलकर भी नहीं बनानी चाहिए। इस दिशा में सीढ़ियों का निर्माण होने से वास्तु दोष लगता है जिसके कारण आपको आर्थिक तंगी, नौकरी और व्यवसाय में हानि का सामना करना पड़ सकता है। आपकी उन्नति में बाधाएं आती हैं।सीढ़ी में यदि किसी प्रकार का दोष है तो पिरामिड या फिर सीढ़ियां ईशान, उत्तर दिशा में बनी हुई हैं तो पिरामिड के द्वारा उसे संतुलित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए वास्तु विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

Vastu has important guidelines related to construction and furnishings everywhere in the home, workplace. According to Vastu, it is very important to take care of directions while constructing anything in the house, otherwise you may face problems. By philanthropist Vanita Kasani Punjab, this is seen by connecting the stairs to the elevation. According to Vastu, if the direction of the stairs is not right then there may be loss in business, financial tightness and obstacles in progress. The stairs in the wrong way and in the wrong direction have a bad effect on the head of the household. If the stairs are constructed keeping in mind the things of Vastu, then progress and economic prosperity can be found. So let us know what should be the steps of your house according to Vastu.  According to Vastu, stairs should always be constructed in the south, west or south west corner of the house. According to Vastu, these directions are very good for constructing stairs.  The nort...
 वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान कोण कहते हैं।  वास्तु शास्त्र में इस स्थान को सबसे पवित्र माना गया है। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है। भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए है। घर का ये हिस्सा सबसे पवित्र होता है इसलिए ईशान में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। यही कारण है कि इस दिशा को सबसे शुभ माना गया है। इसे साफ-स्वच्छ और खाली रखा जाना चाहिए। लेकिन क्या आप ये जानते है कि आपकी नौकरी और बिजनेस की तरक्की ये दिशा ही तय करती है ईशान कोण में न रखने वाले सामान: ईशान कोण में कोई नुकीली चीज तथा झाडू भी नहीं रखना चाहिए वरना धन हानि होती है। घर या ऑफिस के इस हिस्से में बैठक व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। इस स्थान पर कूड़ा-कचरा नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर नौकरी-पेशे में रूकावट आती है। ईशान कोण में स्टोररुम और टॉयलेट नहीं होना चाहिए। इससे कार्यों में रूकावट आती है। किचन और बेडरुम इस दिशा में होने से वास्तुदोष बनता है। लोहे का कोई भारी भी इस दिशा में नहीं होना चाहिए। सिंक या वॉश...