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Showing posts from May, 2021

राहु By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करेंध्यान रखें संपादित करें Learn moreयह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया एक ही स्रोत पर निर्भर करता है। कृपया इस लेख में उचित संदर्भ डालकर इसे बेहतर बनाने में मदद करें।राहु () हिन्दू ज्योतिष के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल नामक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है।राहुउत्तरBritishmuseumRahu.JPGराहु, स्वरभानु का सिर, ब्रिटिश संग्रहालयसंबंध ग्रह, असुरमंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥जीवनसाथी करालीसवारी नील/ श्याम कुत्ता याआठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा हुआ रथसमुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से,उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं।राहु की स्थितिसंपादित करेंभारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु सूर्य एवं चंद्र के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिन्दुओं के द्योतक हैं जो पृथ्वी के सापेक्ष एक दुसरे के उल्टी दिशा में (१८० डिग्री पर) स्थित रहते हैं। चुकी ये ग्रह कोई खगोलीय पिंड नहीं हैं, इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है। सूर्य और चंद्र के ब्रह्मांड में अपने-अपने पथ पर चलने के अनुसार ही राहु और केतु की स्थिति भी बदलती रहती है। तभी, पूर्णिमा के समय यदि चाँद राहू (अथवा केतु) बिंदु पर भी रहे तो पृथ्वी की छाया पड़ने से चंद्र ग्रहण लगता है, क्योंकि पूर्णिमा के समय चंद्रमा और सूर्य एक दुसरे के उलटी दिशा में होते हैं। ये तथ्य इस कथा का जन्मदाता बना कि "वक्र चंद्रमा ग्रसे ना राहू"। अंग्रेज़ी या यूरोपीय विज्ञान में राहू एवं केतु को को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी लूनर नोड कहते हैं।गुणसंपादित करेंराहु पौराणिक संदर्भों से धोखेबाजों, सुखार्थियों, विदेशी भूमि में संपदा विक्रेताओं, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक रहा है। यह अधार्मिक व्यक्ति, निर्वासित, कठोर भाषणकर्त्ताओं, झूठी बातें करने वाले, मलिन लोगों का द्योतक भी रहा है। इसके द्वारा पेट में अल्सर, हड्डियों और स्थानांतरगमन की समस्याएं आती हैं। राहु व्यक्ति के शक्तिवर्धन, शत्रुओं को मित्र बनाने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक रहता है। बौद्ध धर्म के अनुसार राहु क्रोधदेवताएं में से एक है।राहु मंत्रसंपादित करें"ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥", १८००० बार ४० दिन तक[1]सन्दर्भसंपादित करें↑ नव-ग्रह यन्त्र Archived 2010-03-14 at the Wayback Machine|दिनांक: १७ फ़रवरी २०१०। अभिगमन तिथि: ३० सितंबर २०१२बाहरी कड़ियाँसंपादित करेंकेतु का खगोलीय अस्तित्व एवं ग्रहण कारकत्वराहु से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है।राहू ज्योतिष भविष्यफलवैदिक ज्योतिशः में राहु एवं पूरा राहू मंत्रवैदिक ज्योतिष में राहू (अंग्रेज़ी)राहु वैदिक ज्योतिष (अंग्रेज़ी)Last edited 9 months ago By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबRELATED PAGESकेतुनवग्रहतमिलनाडू के नवग्रह मंदिरसामग्री Vnita punjab CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।गोपनीयता नीति उपयोग की शर्तेंडेस्कटॉप

राहु By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें Learn more यह लेख  मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया  एक ही स्रोत  पर निर्भर करता है । कृपया इस लेख में उचित  संदर्भ  डालकर इसे बेहतर बनाने में  मदद करें । राहु  () हिन्दू  ज्योतिष  के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो  ग्रहण  के समय  सूर्य  और  चंद्रमा  का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को  नवग्रह  में एक स्थान दिया गया है। दिन में  राहुकाल  नामक  मुहूर्त  (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। राहु उत्तर राहु,  स्वरभानु  का सिर, ब्रिटिश संग्रहालय संबंध ग्रह ,  असुर मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥ जीवनसाथी कराली सवारी नील/ श्याम कुत्ता या आठ श्याम वर्णी कुत्तों द्वारा खींचा हुआ रथ समुद्र मंथन  के सम...

These 10 tricks to get rid of all crisesBy social worker Vanita Kasani Punjab4Bal Vanita Mahila AshramMany a times it happens that even after a lot of effort, no work is made and if it is made then it is made.

सभी संकटों से मुक्ति दिलाए, ये 10 टोटके By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब बाल वनिता महिला आश्रम कई बार ऐसा होता है कि बहुत प्रयास करने के बाद भी कोई काम नहीं बनता और यदि बन भी जाता है तो बनते-बनते बिगड़ जाता है। सफलता आते-आते आपके हाथों से फिसल जाती है। आखिर इसके पीछे कुछ तो कारण होगा? प्रमोटेड कंटेंट माना जाता है कि पितृदोष, कालसर्प दोष और ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव के कारण कभी कोई सुख प्रा‍प्त नहीं होता, तो कभी देवी-देवताओं के प्रति किए गए अपराध के चलते भी दुखों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह सब ठीक होने के बावजूद कभी-कभी वास्तुदोष के कारण भी व्यक्ति समस्याओं से घिरा रहता है।     उपरोक्त कारणों के चलते व्यक्ति कर्ज में डूब जाता है, संतान सुख चला जाता है, गृहकलह बढ़ जाती है, धन-समृद्धि भी साथ छोड़ देती है, दरिद्रता पीछे लग जाती है, रोग और शोक भी परेशान करते रहते हैं। इस तरह की अन्य कई समस्याओं से व्यक्ति घिर जाता है।   Ads by  आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या हो और बिगड़े काम नहीं बन रहे हो तो ज्योतिषियों द्वारा बताए गए अद्भुत उपाय अपनाएं और बिगड़े क...

हरी ॐहर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख ,समृद्धि और खुशहाली आए। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हर व्यक्ति आनंदमय जीवन की कल्पना करता है ।लेकिन कुछ कारणों से कुछ लोगों के भाग्य में ऐसा नहीं होता ।वे लाख कोशिश करते हैं परंतु सुख , समृद्धि और खुशहाली उनके दरवाजे पर दस्तक देकर चली जाती है।ऐसे कौन- कौन से कारण है जिनके कारण हर व्यक्ति चाहता हुआ भी सुख ,समृद्धि और खुशहाली को पाने में एक कदम दूर रह जाता है।हम ऎसे कौन-कौन से उपाय करें कि हमारे घर में भी सुख ,समृद्धि और खुशहाली आए-प्रातकाल हमें सूर्य निकलने से पहले उठना चाहिए ।सुबह-सुबह ही हमें अपने घर में सफाई करनी चाहिए ।हमें अपनी रसोई घर में रात को झूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए ।क्योंकि रसोईघर एक अन्नपूर्णा मां का भंडार होता है। इसीलिए अगर हम रसोईघर में झूठे बर्तन छोड़ते हैं तो मां अन्नपूर्णा हमसे नाराज हो जाती है।हमें रात को अपनी रसोई घर की पूरी सफाई करके होनी चाहिएजब भी हम रोटी बनाते हैं तो रोटियां गिननी नहीं चाहिए। इससे भी हमारी सुख और समृद्धि कम हो जाती है। इससे भी मां अन्नपूर्णा हमसे नाराज हो जाती हैं और हमारी खुशहाली नष्ट हो जाती है।सोने वाली जगह पर कभी भी झूठे बर्तन न छोड़ें।घर में झाड़ू ऐसी जगह पर रखें कि किसी की भी दृष्टि उस पर नपड़े।संध्या समय अपने घर में धूप, दीप आदि जरूर जलाएं और संध्या के समय कभी सोए नहीं।घर के लोग अगर आपस में झगड़ा करते हैं तो भी हमारे घर की सुख, समृद्धि कम हो जाती है। अगर हम घर में सुख समृद्धि चाहते हैं तो सभी लोग आपस में मिल कर रहे।केवल भाग्य के भरोसे ही ना बैठा रहे परिश्रम भी करें क्योंकि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।सामर्थ्य अनुसार दान भी करें ।सुबह और शाम को प्रभु का भजन अवश्य करें ।बाल वनिता महिला आश्रमअपने घर में कभी-कभी मांगलिक कार्य भी करवाए ।भगवान करे आपकी आपके घर में भी सुख समृद्धि और खुशहाली का वास हो और मां अन्नपूर्णा आपके भंडारे भरती रहे ।इसी मनोकामना के साथ अगर आपको मेरी यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया मुझे अपवोट करना ना भूले।धन्यवाद

हरी ॐ हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख ,समृद्धि और खुशहाली आए। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हर व्यक्ति आनंदमय जीवन की कल्पना करता है ।लेकिन कुछ कारणों से कुछ लोगों के भाग्य में ऐसा नहीं होता ।वे लाख कोशिश करते हैं परंतु सुख , समृद्धि और खुशहाली उनके दरवाजे पर दस्तक देकर चली जाती है। ऐसे कौन- कौन से कारण है जिनके कारण हर व्यक्ति चाहता हुआ भी सुख ,समृद्धि और खुशहाली को पाने में एक कदम दूर रह जाता है। हम ऎसे कौन-कौन से उपाय करें कि हमारे घर में भी सुख ,समृद्धि और खुशहाली आए- प्रातकाल हमें सूर्य निकलने से पहले उठना चाहिए । सुबह-सुबह ही हमें अपने घर में सफाई करनी चाहिए । हमें अपनी रसोई घर में रात को झूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए ।क्योंकि रसोईघर एक अन्नपूर्णा मां का भंडार होता है। इसीलिए अगर हम रसोईघर में झूठे बर्तन छोड़ते हैं तो मां अन्नपूर्णा हमसे नाराज हो जाती है। हमें रात को अपनी रसोई घर की पूरी सफाई करके होनी चाहिए जब भी हम रोटी बनाते हैं तो रोटियां गिननी नहीं चाहिए। इससे भी हमारी सुख और समृद्धि कम हो जाती है। इससे भी मां अन्नपूर्णा हमसे नाराज हो जाती हैं और हमारी खुशहाली नष्ट ...

यदि आपका घर ऐसा है तो सतर्क हो जाएं...हमेशा दशा और दिशा की बात हर क्षेत्र में होती है। आपके शरीर की दशा और दिशा भी ठीक होना जरूरी है और घर की भी। शरीर भी आपके घर है और आपका घर जिसमें आप रहते हैं वह आपका बड़ा शरीर है, तो इसे अंदर से ठीक रखना जरूरी है। घर के अंदर का वास्तु कैसा हो यह जानना जरूरी है। यदि वास्तु खराब है तो प्रगति रुक जाएगी, गृहकलह बढ़ जाएगा, ‍बीमारी पीछे लग जाएगी या शांति और खुशहाली नष्ट हो जाएगी। क्या आपका घर किस तरह के वास्तुदोष से ग्रस्त है जानिए... अगले पन्ने पर जानिए पहली महत्वपूर्ण बात... दिशा सही नहीं तो दशा भी सही नहीं : वैसे दिशाएं 10 होती हैं, लेकिन एक 11वीं दिशा भी होती है जिसे मध्य में माना जा सकता है अर्थात आप जहां खड़े हैं। ये 11 दिशाएं : ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और उत्तर। इसके अलावा 3 दिशाएं ऊपर, नीचे और मध्य में।यदि आपके घर की दिशा पूर्व, आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य में से कोई एक है तो आपको इसके उपाय करने होंगे। पूर्व और अग्नेय मुखी मकान के वास्तुदोष को थोड़े बहुत उपाय करके मिटाया जा सकता है लेकिन यदि दक्षिण और नैऋत्यमुखी मकान है तो उसे त्यागने में ही भलाई है। दक्षिण भाग सीड़ी, ओवरहेड टंकी, अलमारी आदि से वजनदार बनाए। यदि आपका मकान पूर्व या आग्नेय में है तो पूर्व-आग्नेय कोण में पूजाघर, पानी का स्थान नहीं होना चाहिए। सीढ़ियों का निर्माण, टॉयलेट, ड्राईंगरूम, स्टोर का निर्माण यहां किया जा सकता है। इसके अलावा इस दिशा में जनरेटर, बिजली का खम्भा या बिजली के मीटर इत्यादि लगाए जा सकते हैं। अगले पन्ने पर दूसरी महत्वपूर्ण बात... जिस घर का खराब है मध्य भाग : घर की दिशाओं में सबसे आखिरी और बेहद महत्वपूर्ण दिशा है घर की मध्य दिशा। यह दिशा घर के बिलकुल बीचोबीच होने के कारण घर की हर दिशा से जुड़ी होती है इसीलिए किसी भी दिशा का नकारात्मक प्रभाव इस दिशा पर होना आम बात है। मध्य भाग खराब है तो ब्रह्मा का यह स्थान केतु का स्थान बन जाता है।बहुत से घरों में देखा गया है कि बीच में गड्ढा होता है। हो सकता है कि घर के बीचोबीच कोई खंभा गड़ा हो, टॉयलेट या वॉशरूम बना हो या किसी भी प्रकार का भारी सामान रखा हो। अक्सर लोग यदि 15 बाई 50 या 20 बाई 60 का मकान है, तो उसके बीचोबीच लेट-बाथ बना लेते हैं। इस स्थान पर भारी सामान रखना या निर्माण कार्य करना भी गलत है। यह स्थान ईशान की तरह खाली होना चाहिए। ऐसे घरों में कुछ न कुछ घटनाक्रम चलते ही रहते हैं। बीमारी, दुख पीछे लगे ही रहते हैं या घर के सदस्यों के दिमाग में शांति नहीं रहती है। परेशानियों से घिरे रहने वाले इस घर के मध्यभाग को ठीक कर देने से सभी ठीक होने लगता है। इससे घर-परिवार में सहजता और सृजनात्मक गतिविधियों का ह्रास होता है। घर में ऐसा हो तो परिवार में सुख-शांति घटती है। रहने वालों के बीच दूरियां बढ़ती हैं। संबंधों में गरमाहट कम होती है। अगले पन्ने पर तीसरी महत्वपूर्ण बात... घर की छत : घर की छत पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। घर की छत कैसी हो यह जानना जरूरी है। घर की छत साफ-सुधरी होना जरूरी है। * घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो। जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए। इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहेगा, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालेगा।*तिरछी छत बनाने से बचें- छत के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि वह तिरछी डिजाइन वाली न हों। इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। * घर की छत की ऊंचाई भी वास्तु अनुसार होना चाहिए।। यदि ऊंचाई 8.5 फुट से कम होती है तो यह आपके लिए कई तरह की समस्याएं लेकर आती है और जीवन में आगे बढ़ना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा है। घर यदि छोटा है तो छत की ऊंचाई कम से कम 10 से 12 फुट तक होनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंची रखने के लिए वास्तुशास्त्री से संपर्क करना चाहिए। * घर की छत पर किसी भी प्रकार की गंदगी न करें। यहां किसी भी प्रकार के बांस या फालतू सामान भी न रखें। जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं। परिवार में भी मनमुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं। * घर की छत पर रखा पानी का टैंक किस दिशा में हो, यह जानना जरूरी है। उत्तर-पूर्व दिशा पानी का टैंक रखने के लिए उचित नहीं है, इससे तनाव बढ़ता है और पढ़ने-लिखने में बच्चों का मन नहीं लगता है। दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है इसलिए भी इसे पानी का टैंक लगाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अग्नि और पानी का मेल होने से गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है। अगले पन्ने पर चौथी महत्वपूर्ण बात... घर का दरवाजा : वैसे घर का दरवाजा पूर्व, ईशान, उत्तर या पश्‍चिम दिशा में हो तो उत्तम है। घर का दरवाजा दो पल्ले वाला होना चाहिए और दरवाजे भी सम संख्या में होना चाहिए। घर के दरवाजे के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी...10 दरवाजे बताएंगे आपका घर किस दिशा में है यह तो सबसे महत्वपूर्ण है ही, लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि कुछ ऐसे घर होते हैं जिनके प्रवेश द्वार पर खड़े होकर घर के अंतिम कमरे को भी आसानी से देखा जा सकता है।अर्थात प्रथम रूम के बाद दूसरे रूम का दरवाजा और फिर तीसरे रूम का दरवाजा भी एक ही सीध में होता है। इसके अलावा अंत में पीछे के दरवाजे से घर के पिछले हिस्से का दृश्य भी आप देख सकते हैं। ऐसे घरों में हवा बाहर से प्रवेश करती है और भीतर के अंतिम द्वार से होते हुए पुन: बाहर निकल जाती है। ऐसे घर के सदस्यों के दिमाग कभी स्थिर नहीं रहते और उनमें वैचारिक भिन्नता भी बनी रहती है। सबसे बड़ी बात यह कि हवा के आने-जाने की तरह ही उनकी जिंदगी में भी एक के बाद एक घटनाक्रमों का आना-जाना लगा रहता है। परिवार में उथल-पुथल मची रहती है। अधिकतर पैसा बीमारी में ही खर्च हो जाता है। किसी बड़ी घटना का इंतजार करने से अच्छा है कि दरवाजों में मोटे कपड़े का पर्दा लगा दें और पीछे का दरवाजा हमेशा बंद ही रखें। अगले पन्ने पर पांचवीं महत्वपूर्ण बात... नकारात्मक पौधे : आपके घर की दिशा और वास्तु अच्छा है लेकिन घर के आसपास नकारात्मक ऊर्जा विसरित करने वाले पेड़-पौधे हैं तो इसका आपकी जिंदगी पर विपरित असर होगा। पेड़ को घर के मुख्य द्वार पर कभी भी न लगाएं। कांटेदार पौधे, वृक्ष और बेलें नहीं होना चाहिए, जैसे बबूल का वृक्ष, कैक्टस के पौधे और जंगली बेलें आदि। इसके अलावा घर के आसपास किसी कटे हुए वृक्ष का ठूंठ भी नहीं होना चाहिए। इससे भी घर के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा को बल मिलता है। घर के बाहर नीम, चंदन, नींबू, आम, आंवला, अनार आदि के पेड़-पौधे अपने घर में लगाए जा सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके आंगन में लगे पेड़ों की गिनती 2, 4, 6, 8... जैसे सम संख्‍या में होनी चाहिए। विषय संख्‍या में नहीं। पेड़ों को घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाएं। वैसे कायदे से पेड़ सिर्फ एक दिशा में ही न लग कर इन दोनों दिशाओं में लगे होने चाहिए। इसी तरह घर के अंदर आप गमलों में कौन से पौधे लगाते हैं या लगा रखें है यह ध्यान देना भी जरूरी है। मनी प्लांट, खुशबूदार पौधे लगा सकते हैं लेकिन यह ध्यान देना भी जरूरी है कि कौन सा पौधा किस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। आपके घर के शुभ ग्रहों के बल को बढ़ाने वाले शो प्लांट्स होना चाहिए। अगले पन्ने पर छठी महत्वपूर्ण बात... खिड़कियों का रखें ध्यान : इस बात की जांच करें कि आपके घर में दरवाजे और खिड़कियां विषम संख्या में तो नहीं हैं। अगर ऐसा है तो किसी एक दरवाजे या खिड़की को बंद कर दें और उनकी संख्या को सम कर दें।इसके अलावा जिस घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर खिड़कियां होती हैं, वह वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। अगर आपके घर में भी ऐसा है, तो आप इन दोनों खिड़कियों पर गोल पत्ते वाले पौधे लगाएं। अगले पन्ने पर सातवीं महत्वपूर्ण बात... घर की सीढ़ियां : वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेह होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है। मुख्य दरवाजे खुलते ही सीढ़ियां नहीं होना चाहिए। अगले पनने पर आठवीं महत्वपूर्ण बात... टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।तलघर : जिन घरों में तलघर होता है उसे शनि का घर कहा गया है। यदि वहां घर के आसपास कीकर, आम या खजूर का वृक्ष है तो यह और पक्का हो जाएगा कि यह शनि का घर है। तलघर वाले घर के पीछे की दीवार कच्ची हो सकती है। यदि वह ‍दीवार गिर जाए तो शनि के खराब होने की निशानी मानी जाती है।यदि तलघर है तो इस तलघर को वास्तु अनुसार बनाएं या वह जैसा है उसे वैसा ही पड़ा रहने दें। उसमें उजाले के लिए कभी कोई उजालदान न बनाएं। सामान्यत: भवन में सीलर्स और बेसमेंट में कमरे बनाने से बचना चाहि‍ए, जो रोड लेवल से नीचे हों। तलघर बनाना जरूरी हो तो वास्‍तु के अनुसार तलघर या बेसमेंट बनाते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहि‍ए। बेसमेंट को कुछ हद तक रोड लेवल के ऊपर रखें। पूरे प्लॉट को कवर करने वाला बेसमेंट उचि‍त होता है। अगर बेसमेंट के कि‍सी एक हि‍स्‍से में ही तलघर बनाना हो तो उसे केवल उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्वी दि‍शा में ही बनाएं। तलघर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्वी दि‍शा में होना चाहि‍ए। तलघर की दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दि‍शा का उपयोग भारी सामान के स्‍टोरेज के रूप में कि‍या जाना चाहि‍ए। उत्तर- पश्चि‍मी और दक्षि‍ण-पश्चि‍मी भाग नौकरों के रहने या कार पार्किंग के लि‍ए उपयोग कि‍या जाना चाहि‍ए। अगले पन्ने पर नौवीं महत्वपूर्ण बात... घर का फर्श : घर में फर्श कैसा हो, इससे भी आपकी जिंदगी प्रभावित होती है। आप कौन-सी टाइल्स लगा रहे हैं या कि मार्बल, कोटा स्टोन लगा रहे हैं या कि मोजेक? यह किसी वास्तुशास्त्री से पूछना जरूरी है। कोटा स्टोन गर्मियों के लिए फायदेमंद है लेकिन ठंड और बारिश में यह नुकसानदायक ही सिद्ध होगा। इसी तरह टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगाएं।इसके अलावा यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फीट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है, मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है, मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है, घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढ़ियां बनी हुई हैं, इसके अलावा घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढ़िया हैं, इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो ये सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं। अगले पन्ने पर दसवीं महत्वपूर्ण बात... आग्नेय कोण में स्थित टैंक कर देगा बर्बाद : यदि आपका घर पूर्व दिशा में है तो अधिकतर लोगों के घरों के आग्नेय कोण में बाहर की ओर भूमिगत टैंक होता है, जहां पानी को स्टोर किया जाता है। यह वास्तु के अनुसार सही नहीं है।टैंक, बोरिंग या कुआं उत्तर अथवा पूर्व दिशा को छोड़कर अन्य दिशा में है, तो यह मानसिक तनाव का कारण ही बनेगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा। पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में और दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में ज्यादा खुली जगह होनी चाहिए।वेबदुनिया पर पढ़ेंसमाचारबॉलीवुडलाइफ स्‍टाइलज्योतिषमहाभारत के किस्सेरामायण की कहानियांधर्म-संसाररोचक और रोमांचकसभी देखें प्रचलितश्री बजरंग बाण का पाठश्री हनुमान चालीसाआधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?रोज खाएं मखाना और इन 6 बीमारियों को करें टाटाबड़ी खबर, 7 मई तक जारी रहेगा Corona कर्फ्यू, आगे भी बढ़ सकता हैसम्बंधित जानकारीआसिफ कपाड़िया की ‘एमी’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री के लिए ऑस्करघर की सजावट में हाथी होता है शुभ, पढ़ें अनूठे वास्तु टिप्सवकीलों के सामने कन्हैया कुमार का सनसनीखेज खुलासा (वीडियो)कन्हैया पर हमले का आरोपी वकील गिरफ्तारक्यों वायरल हुआ है ओबामा का यह वीडियो...ज़रूर पढ़ेंकैसा है आपके घर का मुख्य द्वार, यह 5 बातें बहुत काम की हैंचांदी की मछली घर में रखने से टल जाते हैं संकट, हमीरपुर जिले की चांदी की मछली है मशहूरVastu Tips : कहां उतारते हैं आप अपने जूते-चप्पल, आ सकता है संकटउल्लू का दिखना या आवाज सुनना, जानिए भविष्य के 12 संकेतघर में चांदी का मोर रखने से चमक जाएगी किस्मत, दिलचस्प जानकारीसभी देखें नवीनतम29 अप्रैल 2021 : दिन की शुभता के लिए आज 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यदि आपका घर ऐसा है तो सतर्क हो जाएं... हमेशा दशा और दिशा की बात हर क्षेत्र में होती है। आपके शरीर की दशा और दिशा भी ठीक होना जरूरी है और घर की भी। शरीर भी आपके घर है और आपका घर जिसमें आप रहते हैं वह आपका बड़ा शरीर है, तो इसे अंदर से ठीक रखना जरूरी है।  घर के अंदर का वास्तु कैसा हो यह जानना जरूरी है। यदि वास्तु खराब है तो प्रगति रुक जाएगी, गृहकलह बढ़ जाएगा, ‍बीमारी पीछे लग जाएगी या शांति और खुशहाली नष्ट हो जाएगी। क्या आपका घर किस तरह के वास्तुदोष से ग्रस्त है जानिए...   अगले पन्ने पर जानिए पहली महत्वपूर्ण बात...   दिशा सही नहीं तो दशा भी सही नहीं :  वैसे दिशाएं 10 होती हैं, लेकिन एक 11वीं दिशा भी होती है जिसे मध्य में माना जा सकता है अर्थात आप जहां खड़े हैं। ये 11 दिशाएं : ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और उत्तर। इसके अलावा 3 दिशाएं ऊपर, नीचे और मध्य में। यदि आपके घर की दिशा पूर्व, आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य में से कोई एक है तो आपको इसके उपाय करने होंगे। पूर्व और अग्नेय मुखी मकान के वास्तुदोष को थोड़े बहुत उपाय करके मिटाया जा सकता है लेक...