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Showing posts from February, 2021

बसंत पंचमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ...🙏 ❤ 🙏💞💞👏🙏👏💞💞ऊँ श्री सरस्वत्यै नमः ....नमस्कार....सुप्रभात. ...शुभ बृहस्पतिवार.....आपका दिन मंगलमय हो...सरस्वति नमस्तुभ्यं , सर्वदेवि नमो नम: ।शान्तरूपे शशिधरे , सर्वयोगे नमो नमः ।।वेदायै वेदरूपायै , वेदान्तायै नमो नमः ।वाग्यै वरदहस्तायै , वरदायै नमो नमः ।।या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥माघ शुक्ल पञ्चमी , बसन्त पञ्चमी , श्री पञ्चमी और सरस्वती पूजन के पावन पर्व पर बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं. ..हंसवाहिनी , ज्ञानदायिनी , विद्याप्रदायिनी , वीणावादिनी , वाक् अधिष्ठात्री , श्वेतपद्मासना देवी भगवती माँ सरस्वती आप पर अपनी कृपा बनाये रखें.....💞💞🙏👏🙏💞💞

Best wishes to all of you on Basant Panchami ... 🙏 ❤ 🙏 4 Oh Mr. Saraswatai Namah .... Hi.... Morning. ... Good thursday ..... Have a good day... Saraswati Namastubhya, Sarvad

, नव उमंग व नई ऊर्जा के प्रतीक बसंत पंचमी के पावन पर्व की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। विद्या की देवी मां सरस्वती सबके जीवन में ज्ञान, समृद्धि व उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें, ऐसी कामना करती हूँ।

Hearty greetings to all the countrymen of the holy festival of Basant Panchami, a symbol of new zeal and new energy. Mother Goddess Saraswati wishes to provide knowledge, prosperity and good health in everyone's life.

, वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में दोष इंसान की जिंदगी बर्बाद कर देता है। ऐसे बहुत से व्यक्ति है, जो समय के अभाव में या किसी अन्य कारण से अपने घर की साफ़-सफाई पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिससे उनका घर अधिकतर गंदगी से भरा होता है। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब घर को गन्दा रखना अपने घर में दरिद्रता को आमंत्रण देना होता है। गंदगी के कारण व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।# इसी तरह व्यक्ति के घर का बाथरूम भी उसके जीवन को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति के घर का बाथरुम गंदा होता है, तो इससे राहु-केतु का अशुभ प्रभाव आपके जीवन में बढ़ जाता है।# प्रतिदिन स्नान करने के पश्चात अपने घर के बाथरूम को साफ़ करना चाहिए। आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि पानी का दुरूपयोग व्यक्ति के जीवन में दुर्भाग्य व दरिद्रता का कारण बनता है तथा इससे चन्द्र गृह भी कमजोर होता है।# यदि व्यक्ति के बाथरूम में पानी यहाँ-वहां फैला रहता है, तो यह किसी अशुभ का संकेत माना जाता है। इसलिए स्नान करने के पश्चात अपने बाथरूम को वाइपर से साफ़ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है, की स्नान करने के बाद बाथरूम को वाइपर से साफ़ करने पर व्यक्ति के शारीरिक तेज में वृद्धि होती है।

According to Vastu Shastra, defects in the house ruin a person's life. There are many people who, due to lack of time or for any other reason, are unable to pay attention to the cleanliness of their house, due to which their house is mostly

#🌷शुभ गुरुवार #🌷शुभ शुक्रवार #🌞 Good Morning🌞 #🥳M,

#🌷शुभ गुरुवार #🌷शुभ शुक्रवार #🌞 Good Morning🌞 #🥳M

🌹🙏🚩ओम नमः शिवाय 🚩 🙏🌹 🌹🙏शुभ प्रभात जी 🙏🌹👉(((( भगवान के डाकू )))).✍️श्री द्वारकापुरी के समीप ही डाकोर नाम का एक गाँव है, वहा श्री रामदास जी नाम के भक्त रहते थे।.✍️वे प्रति एकादशी को द्वारका जाकर श्री रणछोड़ जी के मंदिर में जागरण कीर्तन करते थे।.✍️जब इनका शरीर वृद्ध हो गया, तब भगवन् ने आज्ञा दी, की अब एकादशी की रात का जागरण घर पर ही कर लिया करो। पर इन्होने ठाकुरजी की यह बात नहीं मानी। .✍️भक्त का दृढ़ नियम देखकर भाव में भरकर भगवन् बोले, अब तुम्हारे यहाँ आने का कष्ट मुझसे सहन नहीं होता है, इसलिए अब मै ही तुम्हारे घर चलूँगा। .✍️अगली एकादशी को गाड़ी ले आना और उसे मंदिर के पीछे खिड़की की ओर खड़ा कर देना। .✍️मै खिड़की खोल दूंगा, तुम मुझे गोद में भरकर उठा ले जाना और गाड़ी में पधराकर शीघ्र ही चल देना।.✍️भक्त रामदास जी ने वैसा ही किया... जागरण करने के लिए गाड़ी पर चढ़कर आये। सभी लोगो ने समझा की भक्त जी अब वृद्ध हो गए है। अतः गाड़ी पर चढ़कर आये है।.✍️एकादशी की रात को जागरण हुआ, द्वादशी की आधी रात को वे खिड़की के मार्ग से मंदिर मे गए। .✍️श्री ठाकुरजी के श्रीविग्रह पर से सभी आभूषण उतार कर वही मंदिर मे रख दिए। इनको तो भगवान् से सच्चा प्रेम था, आभूषणों से क्या प्रयोजन?.✍️श्री रणछोड़ जी को गाड़ी में पधराकर चल दिए।.✍️प्रातः काल जब पुजारियों ने देखा तो मंदिर सूना उजड़ा पड़ा है। लोग समझ गए की श्री रामदास जी गाड़ी लाये थे, वही ले गए। .✍️पुजारियों ने पीछा किया। उन्हें आते देखकर श्री रामदास जी ने कहा की अब कौन उपाय करना चाहिए? .✍️भगवान ने कहा, मुझे बावली में पधरा दो।भक्त ने ऐसा ही किया और सुखपूर्वक गाड़ी हांक दी। .✍️पुजारियों ने रामदास जी को पकड़ा और खूब मार लगायी। इनके शरीर मे बहुत-से-घाव हो गए।.✍️भक्त जी को मार-पीटकर पुजारी लोगों ने गाड़ी मे तथा गाड़ी के चारो ओर भगवान को ढूँढने लगे, पर वे कही नहीं मिले।.✍️तब सब पछता कर बोले की इस भक्त को हमने बेकार ही मारा। .✍️इसी बीच उनमे से एक बोल उठा, मैंने इस रामदास को इस ओर से आते देखा, इस ओर यह गया था। चलो वहां देखे।.✍️सभी लोगो ने जाकर बावली में देखा तो भगवान् मिल गए। बावली का जल ख़ून से लाल हो गया था।.✍️भगवन् ने कहा, तुम लोगो ने जो मेरे भक्त को मारा है, उस चोट को मैंने अपने शरीर पर लिया है, इसी से मेरे शरीर से ख़ून बह रहा है, अब मै तुम लोगों के साथ कदापि नहीं जाऊंगा।.✍️यह कहकर श्री ठाकुरजी ने उन्हें दूसरी मूर्ति एक स्थान मे थी, सो बता दी और कहा की उसे ले जाकर मंदिर मे पधराओ, अपनी जीविका के लिए इस मूर्ति के बराबर सोना ले लो और वापस जाओ। .✍️पुजारी लोभ वश राज़ी हो गए और बोले, तौल दीजिये। रामदास जी के घर पर आकर भगवान् ने कहा, रामदास, तराज़ू बांधकर तौल दो।.✍️रामदास जी की पत्नी के कान में एक सोने की बाली थी, उसी मे उन्होंने भगवान् को तौल दिया और पुजारियों को दे दिया। .पुजारी अत्यंत लज्जित होकर अपने घर को चल दिए।.श्री रणछोड़ जी रामदास जी के घर में ही विराजे। .✍️इस प्रसंग मे भक्ति का प्रकट प्रताप कहा गया है। भक्त के शरीर पर पड़ी चोट प्रभु ने अपने उपर ले लिया, तब उनका ‘आयुध-क्षत’ नाम हुआ। .✍️भगवान् ने भक्त् से अपनी एकरूपता दिखाने के लिए ही चोट सही, अन्यथा उन्हें भला कौन मार सकता है?.✍️भगवान् को ही डाकू की तरह लूट लाने से उस गाँव का नाम डाकौर हुआ, भक्त रामदास के वंशज स्वयं को भगवान् के डाकू कहलाने में अपना गौरव मानते है। .👉आज भी श्री रणछोड़ भगवान् को पट्टी बाँधी जाती है। धन्य है भक्त श्री रामदासजी। by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब((((((( जय श्री शिव शंकर जी )))))))

🌹🙏🚩जय श्री राम जी जय श्री बजरंगबली जी🚩 🙏🌹 🌹🙏शुभ प्रभात जी 🙏🌹👉(((( हरि मैं जैसो तैसो तेरौ )))).by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब✍️दक्षिण भारत में गोदावरी के पवित्र किनारे पर कनकावती नगरी थी। वहाँ रामदास नाम के एक भगवद्भक्त रहते थे। वे जाति के चमार थे। .घर में मूली नाम की पतिव्रता पत्‍नी थी और एक सुशील बालक था। .✍️स्‍त्री-पुरुष मिलकर जूते बनाते थे। रामदास उन्‍हें बाजार में बेच आते। इस प्रकार अपनी मजदूरी के पवित्र धन से वे जीवन-निर्वाह करते थे। .✍️तीन प्राणियों का पेट भरने पर जो पैसे बचते, वे अतिथि-अभ्‍यागतों की सेवा में लग जाते या दीन-दु:खियों को बाँट दिये जाते। .✍️संग्रह करना इन भक्त दम्‍पत्ति ने सीखा ही नहीं था। कीर्तन-भजन रामदास घर में कीर्तन किया करते थे। .✍️जूता बनाते-बनाते भी वे भगवन्नाम लिया करते थे। कहीं कथा-कीर्तन का पास-पड़ौस में समाचार मिलता तो वहाँ गये बिना नहीं रहते थे। .✍️उन्‍होंने कीर्तन में सुना था- "हरि मैं जैसो तैसो तेरौ।" यह ध्‍वनि उनके हृदय में बस गयी थी। इसे बार-बार गाते हुए वे प्रेम-विह्वल हो जाया करते थे। .अपने को भगवान का दास समझकर वे सदा आनन्‍दमग्‍न रहते थे।.एक बार एक चोर को चोरी के माल के साथ शालग्राम जी की एक सुन्‍दर मूर्ति मिली। .✍️उसे उस मूर्ति से कोई काम तो था नहीं। उसने सोचा- "मेरे जूते टूट गये हैं, इस पत्‍थर के बदले एक जोड़ी जूते मिल जायँ तो ठीक रहे।" .✍️वह रामदास के घर आया। पत्‍थर रामदास को देकर कहने लगा- "देखो, तुम्‍हारे औजार घिसने-योग्‍य कितना सुन्‍दर पत्‍थर लाया हूँ। मुझे इसके बदले एक जोड़ी जूते दे दो।" .✍️रामदास उस समय अपनी धुन में थे। उन्‍हें ब्रह्मज्ञान पूरा नहीं था। ग्राहक आया देख अभ्‍यासवश एक जोड़ी जूता उठाकर उसके सामने रख दिया। .✍️चोर जूता पहनकर चला गया। मूल्‍य माँगने की याद ही रामदास को नहीं आयी। इस प्रकार शालग्राम जी अपने भक्त के घर पहुँच गये। .रामदास अब उन पर औजार घिसने लगे।.✍️एक दिन उधर से एक ब्राह्मण देवता निकले। उन्‍होंने देखा कि यह चमार दोनों पैरों के बीच शालग्राम जी की सुन्‍दर मूर्ति को दबाकर उस पर औजार घिर रहा है। .✍️ब्राह्मण को दु:ख हुआ यह देखकर। वे आकर कहने लगे- "भाई ! मैं तुमसे एक वस्‍तु माँगने आया हूँ। ब्राह्मण की इच्‍छा पूरी करने से तुम्‍हें पुण्‍य होगा। .तुम्‍हारा यह पत्‍थर मुझे बहुत सुन्‍दर लगता है। तुम इसको मुझे दे दो। इसे न पाने से मुझे बड़ा दु:ख होगा। .चाहो तो इसके बदले दस-पाँच रुपये मैं तुम्‍हें दे सकता हूँ।.✍️रामदास ने कहा- "पण्डित जी ! यह पत्‍थर है तो मेरे बड़े काम का है। ऐसा चिकना पत्‍थर मुझे आज तक नहीं मिला है; पर आप इसको न पाने से दु:खी होंगे, अत: आप ही ले जाइये। .✍️मुझे इसका मूल्‍य नहीं चाहिये। आपकी कृपा से परिश्रम करके मेरा और मेरे स्‍त्री-पुत्र का पेट भरे, इतने पैसे मैं कमा लेता हूँ। प्रभु ने मुझे जो दिया है, मेरे लिये उतना पर्याप्‍त है।" .✍️पण्डित जी मूर्ति पाकर बड़े प्रसन्‍न हुए। घर आकर उन्‍होंने स्‍नान किया। पंचामृत से शालग्राम जी को स्‍नान कराया। .✍️वेदमंत्रों का पाठ करते हुए षोडशोपचार से पूजन किया भगवान का। इसी प्रकार वे नित्‍य पूजा करने लगे। .✍️वे विद्वान थे, विधिपूर्वक पूजा भी करते थे; किंतु उनके हृदय में लोभ, ईर्ष्‍या, अभिमान, भोगवासना आदि दुर्गुण भरे थे। .वे भगवान से नाना प्रकार की याचना किया करते थे। .✍️रामदास अशिक्षित था, पर उसका हृदय पवित्र था। उसमें न भोगवासना थी, न लोभ था। वह रूखी-सूखी खाकर संतुष्‍ट था। .✍️शुद्ध हो या अशुद्ध, पर सात्त्विक श्रद्धा से विश्‍वासपूर्वक वह भगवान का नाम लेता था। भगवान शालग्राम अपनी इच्‍छा से ही उसके घर गये थे। .✍️जब वह भजन गाता हुआ भगवान की मूर्ति पर औजार घिसने के लिये जल छोड़ता, तब प्रभु को लगता कि कोई भक्त पुरुष-सूक्‍त से मुझे स्‍नान करा रहा है। .✍️जब वह दोनों पैरों में दबाकर उस मूर्ति पर रखकर चमड़ा काटता, तब भावमय सर्वेश्‍वर को लगता कि उनके अंगों पर चन्‍दन-कस्‍तूरी का लेप किया जा रहा है। .✍️रामदास नहीं जानता था कि जिसे वह साधारण पत्‍थर मानता है, वे शालग्राम जी हैं, किंतु वह अपने को सब प्रकार से भगवान का दास मानता था। .इसी से उसकी सब क्रियाओं को सर्वात्‍मा भगवान अपनी पूजा मानकर स्‍वीकार करते थे। .✍️ब्राह्मण का स्‍वप्‍न इधर ये पण्डित जी बड़ी विधि से पूजा करते थे, पर वे भगवान के सेवक नहीं थे। .✍️वे धन-सम्‍पत्ति के दास थे। वे धन-सम्‍पत्ति की प्राप्ति के लिये भगवान को साधन बनाना चाहते थे। .भगवान को यह कैसे रुचता। वे तो नि:स्‍वार्थ भक्ति के वश हैं। .✍️भगवान ने ब्राह्मण को स्‍वप्‍न दिया- "पण्डित जी ! तुम्‍हारी यह आडम्‍बरपूर्ण पूजा मुझे तनिक भी नहीं रुचती। मैं तो रामदास चमार के निष्‍कपट प्रेम से ही प्रसन्‍न हूँ। .✍️तुमने मेरी पूजा की है। मेरी पूजा कभी व्‍यर्थ नहीं जाती। अत: तुम्‍हें धन और यश मिलेगा। पर मुझे तुम उस चमार के घर प्रात: काल ही पहुँचा दो।.✍️भगवान की आज्ञा पाकर ब्राह्मण डर गया। दूसरे दिन सबेरे ही स्‍नानादि करके शालग्राम जी को लेकर वह रामदास के घर पहुँचा। .✍️उसने कहा- "रामदास ! तुम धन्‍य हो। तुम्‍हारे माता-पिता धन्‍य हैं। तुम बड़े पुण्‍यात्‍मा हो। भगवान को तुमने वश में कर लिया है। .✍️ये भगवान शालग्राम हैं। अब तुम इनकी पूजा करना। मैं तो पापी हूँ, इसलिये मेरी पूजा भगवान को पसंद नहीं आयी। .भाई ! तुम्‍हारा जीवन पवित्र हो गया। तुम तो भवसागर से पार हो चुके।.✍️नित्य पूजा-पाठ रामदास ने ब्राह्मण के चरणों में प्रणाम किया। उनका हृदय भगवान की कृपा का अनुभव करके आनन्‍द में भर गया। .✍️वे सोचने लगे- "मैं दीन, अज्ञानी, नीच जाति का पापी प्राणी हूँ। न मुझमें शौच है, न सदाचार। .✍️रात-दिन चमड़ा छीलना मेरा काम है। मुझ-जैसे अधम पर भी प्रभु ने इतनी कृपा की। .✍️प्रभो ! तुम सचमुच ही पतितपावन हो।" भगवान को एक छोटे सिंहासन पर विराजमान कर दिया उन्‍होंने। .✍️अब वे नित्‍य पूजा करने लगे। धंधा-रोजगार प्रेम की बाढ़ में बह गया। वे दिनभर, रातभर कीर्तन करते। .✍️कभी हँसते, कभी रोते, कभी गान करते, कभी नाचने लगते, कभी गुमसुम बैठे रहते। .✍️भगवान के दर्शन की इच्‍छा से कातर कण्‍ठ से पुकार करते- "दयाधाम ! जब एक ब्राह्मण के घर को छोड़कर आप इस नीच के यहाँ आये....✍️तब मेरे नेत्रों को अपनी अदभुत रूपमाधुरी दिखाकर कृतार्थ करो, नाथ ! मेरे प्राण तुम्‍हारे बिना तड़प रहे हैं।".✍️रामदास की व्‍यथित पुकार सुनकर भगवान एक ब्राह्मण का रूप धारणकर उनके यहाँ पधारे। .✍️रामदास उनके चरणों पर गिर गये और गिड़-गिड़ाकर प्रार्थना करने लगे कि- "भगवान का दर्शन हो, ऐसा उपाय बताइये।" .✍️भगवान ने कहा- "तुम इस दुराशा को छोड़ दो। बड़े-बड़े योगी, मुनि जन्‍म-जन्‍म तप, ध्‍यान आदि करके भी कदाचित ही भगवान का दर्शन पाते हैं।" .✍️रामदास का विश्‍वास डिगने वाला नहीं था। वे बोले- "प्रभो ! आप ठीक कहते हैं। मैं नीच हूँ, पापी हूँ। मेरे पाप एवं नीचता की ओर देखकर तो भगवान मुझे दर्शन कदापि नहीं दे सकते....✍️परंतु मेरे वे स्‍वामी दीनबन्‍धु हैं, दया के सागर हैं। अवश्‍य वे मुझे दर्शन देंगे। अवश्‍य वे इस अधम को अपनायेंगे।".✍️अब भगवान से नहीं रहा गया। भक्त की आतुरता एवं विश्‍वास देखकर वे अपने चतुर्भुज स्‍वरूप से प्रकट हो गये। .✍️प्रभु ने कहा- "रामदास ! यह ठीक है कि जाति नहीं बदल सकती; किंतु मेरी भक्ति से भक्त का पद अवश्‍य बदल जाता है। .✍️मेरा भक्त ब्राह्मणों का, देवताओं का भी आदरणीय हो जाता है। तुम मेरे दिव्‍य रूप के दर्शन करो।" रामदास भगवान का दर्शन करके कृतार्थ हो गया। ((((((( जय जय श्री राम )))))))

*विनम्रता एक बार नदी को अपने पानी के प्रचंड प्रवाह पर घमंड हो गया नदी को लगा कि ... मुझमें इतनी ताकत है कि मैं पहाड़, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि सभी को बहाकर ले जा सकती हूँ एक दिन नदी ने बड़े गर्वीले अंदाज में समुद्र से कहा ~ बताओ ! मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या लाऊँ ? मकान, पशु, मानव, वृक्ष जो तुम चाहो, उसे ... मैं जड़ से उखाड़कर ला सकती हूँ. समुद्र समझ गया यह कि ... नदी को अहंकार हो गया है उसने नदी से कहा ~ यदि तुम मेरे लिए* कुछ लाना ही चाहती हो, तो ... थोड़ी सी घास उखाड़कर ले आओ. नदी ने कहा ~ बस ... इतनी सी बात. अभी लेकर आती हूँ. नदी ने अपने जल का पूरा जोर लगाया पर ... घास नहीं उखड़ी नदी ने कई बार जोर लगाया लेकिन ... असफलता ही हाथ लगी आखिर नदी हारकर समुद्र के पास पहुँची और बोली मैं वृक्ष, मकान, पहाड़ आदि तो उखाड़कर ला सकती हूँ. मगर जब भी घास को उखाड़ने के लिए जोर लगाती हूँ, तो वह नीचे की ओर झुक जाती है और मैं खाली हाथ ऊपर से गुजर जाती हूँ.. समुद्र ने नदी की पूरी बात ध्यान से सुनी और मुस्कुराते हुए बोला ~ जो पहाड़ और वृक्ष जैसे कठोर होते हैं, वे आसानी से उखड़ जाते हैं. किन्तु ... घास जैसी विनम्रता जिसने सीख ली हो, उसे प्रचंड आँधी-तूफान या प्रचंड वेग भी नहीं उखाड़ सकता जीवन में खुशी का अर्थ लड़ाइयाँ लड़ना नहीं ... बल्कि ... उन से बचना है कुशलता पूर्वक पीछे हटना भी अपने आप में एक जीत है ... क्योकि ... अभिमान* ~ *फरिश्तों को भी शैतान बना देता है, ... और ... नम्रता साधारण व्यक्ति को भी फ़रिश्ता बना देती है.. , *By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब*🌷🙏🙏🌷 🙏💐 विनम्रता से जिन्दगी जीना चाहिए 🙏🙏** Modesty Once the river is filled with water Boast over The river felt that ... I have so much power Mountains, houses, trees, animals, humans etc. Take it all away One day the river in a very proud style Tell from the sea ~ Tell! What should i get for you House, animal, human, tree Do whatever you want ... I can uproot it from the root. The sea understood that… River has become arrogant He said to the river ~ If you for me * If you want to bring something, then… Uproot some grass and bring it. The river said ~ Just ... such a thing. I will bring it now The river exerted its full force of water But ... the grass is not uprooted The river thrust many times but ... Failure is at stake Finally after losing the river reached the sea and said I can uproot trees, houses, mountains etc. But whenever I push the grass to uproot it, it bends down and I go up empty handed .. The sea listened intently to the river And he said with a smile ~ Which are like mountains and trees Are rigid, They crumble easily. But… Humility like grass Who has learned, He had a severe thunderstorm or Can not uproot even the raging velocity Meaning of happiness in life Battles don't fight ... Rather ... Avoid them Retreat efficiently Is a win in itself ... Because ... Pride * ~ * even to angels The devil makes ... And ... Humility even to an ordinary person Angel makes .., * By social worker Vanita Kasani Punjab * 🌷🙏🙏🌷 चाहिए live life humbly 🙏🙏 *

*विनम्रता  एक बार नदी को अपने पानी के        प्रचंड प्रवाह पर घमंड हो गया               नदी को लगा कि ...          मुझमें इतनी ताकत है कि मैं   पहाड़, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि      सभी को बहाकर ले जा सकती हूँ   एक दिन नदी ने बड़े गर्वीले अंदाज में           समुद्र से कहा ~ बताओ !        मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या लाऊँ ?         मकान, पशु, मानव, वृक्ष            जो तुम चाहो, उसे ...    मैं जड़ से उखाड़कर ला सकती हूँ.             समुद्र समझ गया यह कि ...         नदी को अहंकार हो गया है             उसने नदी से कहा ~             यदि तुम मेरे लिए*         कुछ लाना ही चाहती हो, तो ...    थोड़ी सी घास उखाड़कर ले आओ.   नदी ने कहा ...

*🙏🌞!!ऊँ सूर्य देवाय नमः!! 🙏🍀!! षटतिला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!🍀🙏🙏!!जय श्री राम राधे राधे!! 🙏🍒🍒🍒🍊🍊🍒🍒🍒*रूबरू होने की छोड़िये लोग**गुफ्तगू से भी कतराने लगे हैं।**गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते...**अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं।**चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं।**कल भी यही सच था।**और आज भी यही सच है।**संभाल के रखना अपनी पीठ को**शाबाशी और खंजर दोनो यहीं पर मिलते है।*। *वनिता पंजाब*🌷🙏🙏🌷 *🌸🌸•|| सुप्रभात ||•🌸.* 🙏🌞 !! Oon Surya Devaya Namah !! 🙏🍀 !! Best wishes to Shattila Ekadashi… !! 🍀🙏🙏 !! Jai Shri Ram Radhe Radhe !! 4 * People to be aware of * * Clippings have also started from Guptagu. * * Relations are worn out… * * Have begun to show their status. * * The people who created the cycle are all their own. * * The same was true yesterday. * * And the same is true today. * * Keep your back on the handle * * Both okey and dagger are found here. * Vanita Punjab * 🌷🙏🙏🌷 * 🌸🌸 • || Good morning || • 🌸.,

*🙏🌞!!ऊँ सूर्य देवाय नमः!! 🙏🍀!! षटतिला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!🍀🙏🙏!!जय श्री राम राधे राधे!! 🙏🍒🍒🍒🍊🍊🍒🍒🍒 *रूबरू होने की छोड़िये लोग* *गुफ्तगू से भी कतराने लगे हैं।* *गुरूर ओढ़े हैं रिश्ते...* *अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं।* *चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं।* *कल भी यही सच था।* *और आज भी यही सच है।* *संभाल के रखना अपनी पीठ को* *शाबाशी और खंजर दोनो यहीं पर मिलते है।*। *वनिता पंजाब*🌷🙏🙏🌷    *🌸🌸•|| सुप्रभात ||•🌸.* 🙏🌞 !! Oon Surya Devaya Namah !! 🙏🍀 !! Best wishes to Shattila Ekadashi… !! 🍀🙏🙏 !! Jai Shri Ram Radhe Radhe !! 4  * People to be aware of *  * Clippings have also started from Guptagu. *  * Relations are worn out… *  * Have begun to show their status. *  * The people who created the cycle are all their own. *  * The same was true yesterday. *  * And the same is true today. *  * Keep your back on the handle *  * Both okey and dagger are found here. * Vanita Punjab...